घर की राह | Ghar Ki Raah
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
235
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घर की राह
'माँ, माँ, देखा तो !!'--शैल घर में घुसता, माँ से लिपटता,
कौतूहल के साथ बाला ।
कया है ?!-माँ ने गुस्से से कहा ।
देखा तो, देखा ता, वाहर !--शेल हाथ से संकेत करता
हुआ बाला ।
पर हे क्या?
बह. ..टेंड़ा है न ९!
ভা, ই বা?
'वह- - -वह रोता हे -उतेरोरीदेदो!'
'अच्छा, यह बात है !'--माताजी ने हँसते-हँसते शेल को
गल लगाते हुए कहा ।
'माँ, वह रोता हे, वह भूखा है, उस भूख लगी है । कल. .
कल लड़कों ने उस मारा ! देख मारा था न कल्ल ?'
हाँ मातादी ! तल बात माला ता उत्त । थून भी तो नितला
था !'--कल्ल् गुल्ली का धीरे स नीचे रखता हुआ बाला ।
'माँजी, बाहर चाय माँग रहे है ै।/--नौकर ने भोतर आते
हुए कहा ।
'कौन आया हे ? दिन-भर बस यही चाय और दूध !!--
माँजी न क्राध से कहा ।
বানান আসাম ই,
(च्छा । ल क्ट, ये रोटी देदे उसे शरव कभी मत माँगना ।'
- माँजी ने रोटी देत हुए कहा ।
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