घर की राह | Ghar Ki Raah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ghar Ki Raah by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
घर की राह 'माँ, माँ, देखा तो !!'--शैल घर में घुसता, माँ से लिपटता, कौतूहल के साथ बाला । कया है ?!-माँ ने गुस्से से कहा । देखा तो, देखा ता, वाहर !--शेल हाथ से संकेत करता हुआ बाला । पर हे क्या? बह. ..टेंड़ा है न ९! ভা, ই বা? 'वह- - -वह रोता हे -उतेरोरीदेदो!' 'अच्छा, यह बात है !'--माताजी ने हँसते-हँसते शेल को गल लगाते हुए कहा । 'माँ, वह रोता हे, वह भूखा है, उस भूख लगी है । कल. . कल लड़कों ने उस मारा ! देख मारा था न कल्ल ?' हाँ मातादी ! तल बात माला ता उत्त । थून भी तो नितला था !'--कल्ल् गुल्ली का धीरे स नीचे रखता हुआ बाला । 'माँजी, बाहर चाय माँग रहे है ै।/--नौकर ने भोतर आते हुए कहा । 'कौन आया हे ? दिन-भर बस यही चाय और दूध !!-- माँजी न क्राध से कहा । বানান আসাম ই, (च्छा । ल क्ट, ये रोटी देदे उसे शरव कभी मत माँगना ।' - माँजी ने रोटी देत हुए कहा । १३




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now