युगाधार | yugaadhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.31 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बनकर सनक नथणणााीएएएल्एुएल्एएक्एसल्एएएल्एएएए न बन नपप बापू मन में चूतन बल सेंवारता जीवन के सशय मय हरता वृद्ध वीर बापू वह श्राया कोटि कोटि चरणों को धरता घरणी-मग होता है डगमय जब चलता यह धीर तपस्वी गगन समगन होकर गाता है गाता जो भी राग मनस्वी पग पर पग घर-घर चलते हैं कोटि कोटि योधा सेनानी बिनत माथ उन्नत मस्तक ले कर निःशस्त्र आत्म-ऑ्रभिमानी
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