हिंदी साहित्य :एक रेखा - चित्र | Hindi Sahitya Ek Rekha Chitr
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.57 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रो० शिवचन्द्र प्रताप - Pro. Shivchandr Prtap
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बहुजन हिताय बहुजन सुखाय पर जब श्राठ्वीं शताब्दी की साँक विदा होने लगी मंत्रयान अंधकार के गतें में हब चला ।. मीन मांस मंद्य और मैथुन तक ने उसमें अवेश पा लिया। जिस नारी को गौतम ने मुक्ति-मार्ग की बाथघा कहा था उसी को उनके अनुयायी मुक्ति का साघन मान कर थ लिए डोलने लगे। यह और एक कदम नीचे की अवस्था थी जिसे इतिहास ने वज्रयान कहकर पुकारा । इन वज़यानी साघकों की ठोलियाँ आंध्र की राजधानी पैठन घन्य- कटक श्र श्रीपबैत से होती हुई नालंदा और विक्रमशिला जा | बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की अमृत-व्वनि से ओर विक्रम शिला के झून्य जनपथ भी एक बार मुखरित हो. उठे । तथागत के इस प्रदेश में आकर वज्यानियों को जैसे अपना खोया हुमा ज्ञान मिल गया । वे सिंद्ध हो गए । की पर भगवान बुद्ध की तरह वे पूरे बने न रह सके। उन्हें लगा इश्वर या इश्वर-जेसी कोई सत्ता कहीं जरूर है। _ गुरु का महत्त्व भी उन्होंने माना । उसके बिना गंतब्य तक पहुँच पाना वौसे संभव हो सकेगा ? राह कितनी कठिन है पग- पग पर माया की बिछुलन कदम-कदम पर काँटे पर शर्ते है गुरु योग्य होना चाहिए । अंधा अंघे को कुएँ से निकालेगा तो क्या ख़द भी गिर जायगा-- जाव. ण झप जशिजई तांप. ण शिष्य करेई। 3
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