ग्रामसेवाके दस कार्यक्रम | Gramsewa Ke Das Karyakram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वालवाड़ी १३
এ
आकर्षक लगती हे । वाल-कहानी ओर वाल-गीत पर विचार करते
समय यह अनुभव भी ध्यानमें रखने लायक हे ।
१०. चालशिक्षणके साधन
अुद्योग आदि शिक्षणके सायन असे होने चाहिये, जिन्हे वच्चे
आमानीसे अुझोा सके गौर लिस्तेमारु कर सके।
बच्चे जीवनमें अनेक प्रकारके काम अच्छी तरह कर सके,
जिसके लिसे ञुनके हाय, पैर, कान वैरा अिन्दरियोकौ जवितिथोका
विकासं करना जख्री हं । जिसलिये जिस विकासके पोषक साधन
दने चाहिये जीर अूनका अुपथोग करना चाहिये।
अमे माधनोका वडेसे वडा लक्षण यह है कि वे विलकुल सीधे-
सादे हो, जैसे हो जिन्हे शिक्षक अपने हायसे बना झूके या गाँवके
कारीगरोंसे बनवा सके।
११. वालशिक्षणका काम फौन कर सकता हूँ?
सुशिक्षित स्त्री-पुरष तो जिसे कर ही सकते हे, मगर ज्यादा
शिक्षा न पाये हुओ या बिलकुल पाठणालामे न गये जे ग्रामवासी स्त्री-
पुरुष भी यह काम करने लायक वन सकते हे। शत्तं जितनी ही हूँ कि
अनमे वच्चोकौ सेवके लिञे स्वाभाविक प्रम हो, वे विनोदी
हो, चिडचिंडे व हो, खेलकूद, कहानी कहने वगैरामे कुशल और
कल्पनाणील हो, कामकाज करतेमे छोटी-छोटी वात्तो पर ध्यान देनेवाले
हो, व्यवस्यित हो और सफाओका आग्रह रखनेवाले हो।
असे स्त्री-पुर्षोको तीनसे छ महीनेकी तालीम देनेका प्रवन्ध
होना चाहिये।
मूता-पिताक्ो भी, जिन्हे वालवादियां नही चलानी ह, भिस
तरहकी तालीभ लेनेके लिये प्रोत्साहन देनेकी जहरत हैं।
वालशिक्षणके क्षेत्रमें खोज करनेवाले विश्येपज्ञोकी कुछ नस्वायें
होना जरूरी है। परन्तु वालवाडीकी सावारण प्रवृत्तको अतिशास्त्रीय
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