भीष्म | Bhishm
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दशय | पहला अंक ९
পাপা
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२ धौवर--यहं सदेह दूर कंसे हो £
१. धीवर-- दूर हेते तो नदी देख पडता |
२ धीवर--अच्छा, इसी आदमीसे पृष्ठा जाय तो केसा ए
१ धीवर--( चिन्तित भावसे ) हॉ--यह तो कुछ ठीक जानं
पडता है । _
धीवर---तो चलो पूछे ।
( दोनों शान्तनुके पास जाते ই)
१ धीवर--एजी । एजी ।
२ धीवर---ओ भले आदमी !
१ धीवर---बोछता भी नहीं है !
२ धीवर--तो फिर मर ही गया होगा !
१ धीवर--तो यही क्यो नदी कह देता कि में मर गया हूँ।
हम निश्चिन््त होकर अपने घर चले जायें ।
धीवर---ना, गड़बडझाला जैसेका तैसा बना रह। चलो घर चरे |
( दोनोंका प्रस्थान )
शान्तनु--बरसातकी बढ़ी हुईं नदी अपने दोनो किनारोंको छापकर
वेगसे बही जा रही है । शरद् ऋतुका पूर्ण चन्द्रमा उदय हो आया
. है । कोकाबेलीके उज्ज्वल फ़ूछ खिल रहे है। कोई त्रुटि नही है, कोई कमी
नही है। स्वर्गकी-सी इस सुन्दर ज्योतिमे वह सुन्दरी कौन थी ? किसकी
कन्या थी ? उसका घर कहाँ है इधर ही तो शायद गई हे | इसके
रहनेकी जगहका पता मुझे कौन वतवेगा
[ माघवका प्रवेश ]
माधव--मित्र, मृग भाग गया |
शान्तनु--माग जाने दो | छेकिन मैने एक अपूर्व छुन्द्री नारी देखी है|
वि.स. २
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