कमल कालिका | Kamal Kalika

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Kamal Kalika by कमल श्री - Kamal Sri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# गुरू वन्दना # ---<‡-- श्री चन्दन गुरु प्रसादेमम कार्य सिद्धि म॑विष्यति । मक्तिमामाधारो कमलमवति किट्वरी तब ॥ मैं काय को प्रारम्म करने के लिये उत्कग्ठित हो रही हू। श्री दत्त कुदाल गुरु महाराज को नमस्कार करती हु । श्री सरस्वती देवी को प्रणाम करके, आचार्य मगवन्‌ श्री कृपाचन्द्र सूरिभ्वरजी महाराज साहव तथा जयसागर सूरिश्वरजी महाराज साहव को वन्दना करके व मगकतीजी श्री हेतश्रीजी साहव को सविनय नमस्कार करके, गुरुवर्या श्रामती चन्दनभीजी महाराज साहव के शुभ आशीर्वाद प्राप्त कर काय प्रारम्म करती हू 1 अल्प वृद्धि होने पर भी इस काय के लिये मेरे हृदय में चञ्चलता हो रहौ ह, जैसे कोई वादना ( छोटा ) मनुष्य महान्‌ ऊँचे वृक्ष के फल प्राप्त करने के लिये अपने हाथों को उँचा करता है। और वह हंसी का पात्र होता है, इसी प्रकार वृद्धिमानों के समक्ष हँसी की पात्र हू । श्री बमल श्री




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