कुलहीन योगी | Kulheen Yogi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नहीं मिलता है। यह सब कुछ चलता है व्यवस्था के नाम पर |
समाज के भद्ग कहे जाने वाले य॑ लोग क्या यह चाहते है कि इस
अबोध बच्चे को अनाथालय भेजकर जीवन भर लूला लगडा और अधा
बनाकर इसवे लिए भौ भीख भागने का द्वार खोल दिया जाएं? आज
यदि यह् इनका खुद का बच्चा हता, तो क्या ये लोग इमी तरह की बातें
करते?
बाह | वाह |! क्या कहने? ऐसे किसी बच्चे का पालन-पोषण
करने म ये जाति भ्रष्ट हो जात हैं, इनका धम नष्ट हो जाता है।
धोर पाप के भागीदार होते हैं--जौर उसे अताथातय भिजवाकर, भीख
भी रोटी खिलाने से इन्हे पुण्य मिलता है।
उहोने निश्चय किया--बालक का भविष्य नष्ट हीने से बचाने का ।
उहोंने इसकी सूचना तुरत पुलिस-स्टेशन भिजवा दी । इस्पेव्टर वे आने
पर उहोने बच्चे को इस शत पर अपने पास रख लिया कि भविष्य मं इस
प्रन््वे के किसो अभिभावक्र या सग्रे सवधी के आने पर, वे बच्चे को उहें
सौंप देंगे, आयथा अपने पुश्र बे समान इसका पालन पीषण करेंगे।
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