श्रीमद्द्यानन्द - प्रकाश | Shrimatdayanand - Prakash
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
626
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ 9)
कर देनेका भापके पास' भ्छा प्रवसर है। क्यों कि आपको छुछ एक ऐसी सुविधांयें आप हैं जो
उनके पास नहीं हैं। `
एक तो भापते देशं देनिक वेतन सस्ता है। दूसरे आपके देशों तृत्म कामक्रो कुशलतासे कर
नेके, साधारणतः यूरोपियनोंकी अप प्रधिक प्रवीण परिश्रममी विजन मिल जाते हैं ।”
/ तीसरे, बहुतसे यरोपियनोंकी अपेज्ञा आप लोगोंका भ्राचार अच्छा है। श्राप भपने ग्राहकोंको
सती शरोर निम पर्तये दे उनका रुपया नहीं बटोरेगे । आप जीवनो वापिष्यां शरोर इल कोष
हमें निर्दोष नियपका पालन करेंगे।
` श्राप जव चाहं अपो विश्यार्थियोंकों हमारे पास मेन दे । जितना प्रीघ भेने' उतनादी उत्प
क्योंकि हम उनको उनके अध्यपनके मिन्न भिन्न एदे पक अनुसार कामों लगानेके लिये तत्पर हैं। .
उन्होंने फिर लिखा “मेरे इस पत्रका उह्े श्य आपको इस बातकी सुचना देता है कि मैने आपने
नव युवक देश वन्यभोको पे स्यानं मेनके विषया रीर भी अधिक पूछताछ की। थे विवि
कृलायं शर व्यवसाय भरतयनत क्रियात्मक और वाचनिक रीतिसे सीख सकते हैं। हमर आपके अनु
योगी आये विधार्थियोंकों सारी उपयुक्त कशायें और बर्तुयें सिखलानेके लिए ्रपनी रता शरोर
देख रेखमें लेनेके लिए बढ़े उत्सुक हैं। पर वे इन कताभो सवेश अथवा क्रिसी अन्य देशी
भरपेत्ता अधिक उत्तर रीतिसे सीख सकेंगे। अपने ददे सफल होते ओर गौण तया নি
वार्तं शत होने प्रथवा जिन बातोंकों वे जानना भोर सोखना चाहते हैं उनक्री समीचीन व्यास्या
पर उपदेशके न मिलनेसे अपना बहुमूल्य समय नह ने करनेके लिए ऐसे विध्या्थियोंकों सबसे बह
कर ठोक पथादर्शशोंक! प्रयोजन है। जो भरती पूरी योग्यााप्ति उन्हें मांग दिखादें। उन्हें परामर्श ই
श्र उन्हें पहायें। भारत विद्यार्थियों पै य काप देना चाहता उनको पररः म॑ राण शोर
झात्मामें एक भाध्यात्मिक सम्बन्ध द्वारा, भाकपित प्रनुभव करता हूँ । पैः अपने नवयुवक भारतीय
पिज्रॉंकी देखरेख और विकासपर पूर्ण ध्यान देगा। उनको में किसी दूसरेकी देखरेख भर
रपर कदापि नहीं छोड़ गा। इसके लिये चाहे मुझे भपने यरोपीय विधापियोंकरी रा और पिला
निपित्त दसरोंकों भी नियुक्त करना पढ़े 1”
বা মান ३० सितम्बर १८८० को फिर लिखा। “आपके पुत्रहपसे নীবিদধ নারী भौर
झन्य विधायें तथा शिरप-क सहर्ण सोख सकते हैं। हषं भप उन््ततिका होह नहीं है।
र निन माता-पिता पतर ले शरोर उनको अपने सर्वोत्तम पुरुषोंसे शित्ता दिलानेके लिए
झमुधत हूँ । सलामत स्यो हमारी भाप ईस योग्य हो जायगे। जब आए कगे, तो मे সা
ङ दि सुपी विद्यार्थी वेगा । उनको त योरे परपर अरा विना धस (84
मोर उही उति किप सहफता दूंगा ।
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