तुग़लक | Tugalak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.47 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
वी. वी. कारन्त - V. V. Karant
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुजुर्ग आदमी
बुजुर्ग आदमी
तुगलक
जवान
जवान
शरीफ, :
ददय : |
(ई० 1327)
दिल्ली को एक अदालत का बाहरी हिस्सा, जहाँ लोगों का
मजमा जमा है । मजमे में इयादातर मुसलमान हैं ।
: कौन जाने हमारे मुल्क का अब क्या होगा !
: क्यों वुजुर्गवार, कौन-सी आफत टूट पड़ी है आप पर ?
: एक हो तो बताऊं ! मेरे सफेद वालों की तरफ देखो
जमाल, न जाने अब तक मैंने कितने सुलतानों को इस
सरज़मीन पर बनते-मिंटते देखा है । मगर यकीन मानो,
ख्वाव में भी यह नहीं सोचा था कि एक दिन किसी ऐसे
भी सुलतान को अपनी आँखों देखना पड़ेगा, जो खुद एक
मुजरिम की तरह हाथ बाँधे काजी के सामने पेश होगा ।
: आपका. जमाना लद गया, वुजुर्गवार ! वो भी क्या
सुलतान हुआ जो रिआया से कोसों दूर किलेनुमा बन्द
महल में बेठा हुकूमत करे। हकीकत मे सुलतान वो है, जो
आम आदमी की तरह गलत-सही काम करके भी तरक्की
करे !
तुम समभे नहीं जमाल, सुलतान गलती करे या न करे...
अपनी वला से । लेकिन अपनी गलतियों का गली-पली
'ढिढीरा पिटवाने के क्या माने ? ऐसे में क्या कल रिआया
शाही हुकमों कीं कद भी करेगी ? लगान देगी ? जंग में
जायेगी ? ये तो वहीं मिसाल हुई कि खुद सुलतान ऐलान
करें कि मेरी रिया बागी हो जाये ।
ही
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