ज्ञान कथाकुञ्ज | Gyan Kathakunj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कस्तूरचन्द्र जैन 'सुमन ' -Kasturchand Jain 'Suman'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ दृढ सकल्पी भील
५ अविवेकी पिता विवेकी पुत्र
६ अतिलोभी को सुख नही
७ पित्ता का पुत्रस्नेह
पात्रदान की महिमा न्यारी
६ मृगसेन धीवर व्रत-फल
१० पुण्यात्मा धन्यकुमार
११ लक्ष्मी सर्वत्र पूज्यते
१२ बुरा जो चेते ओर का उसका पहले होय
१३ काम कराने की कला
१४ जैसी बनी बना हो वैसा
१५ निन्यान्नवे का फेर
१६ बुरी नियत का बुरा नतीजा
१७ उदारता का मधुर फल
१८ जैसी आवक वैसी जावक
१६ ज्ञान बिना चिन्तामणि पत्थर
२० निज बोध बिना है सिह स्यार
२१ छिपे न साचा प्रेम
(१)
समीक्षा
'रानी का अविवेक शीर्षक कथा ज्ञानसागर वाड्मय मे “गुण सुन्दर
वृत्तान्त नामक रचना के पृष्ठ १७ से २४ पद्य ३० से ६५ से रूपान्तरित की गयी
है | इसमे विद्याधर कालसवर की रानी सुभगा को नि सतान बताकर प्रद्युम्न की
उसे प्राप्ति ओर उसके द्वारा उसका लालन-पालन दर्शाकर अन्त मे रानी का
उसी पर कामासक्त होना बताया गया है ।
इस कथा मे लेखक ने कालसवर को केवल विद्याधरो का नायक कहा
है जबकि महापुराण मे इसे विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के मेघकूट नगर का
विद्याधर राजा कहा गया है । लेखक ने रानी का नाम सुभगा ओर प्राप्त पुत्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...