प्रेम - पुष्पाज्जलि | Prem Puspanjali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कुमार देवेन्द्रप्रसाद - Kumar Devendraprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म-पुष्पाअलिं |
वात्सल्य तुम्हारा जलद दिखा जाते हैं ,
मृदु-अंकुर भू-तल भेद निकल आते हैं।।
( ५ )
गा सके तुम्हारे गुण न वेद भी हारे ,
प्रभु ! कोटि कोटि हैं तुम्हें प्रणाम हमारे ।
हो तुम से केवल तुम्हीं; कौन तुम सा है ९
तुम बीज-रूप हो देव ! जगत् द्रमसा है॥
( ६ )
रहती है जन पर सदा तुम्हारी ममता ,
क्षमता अद्भुत है नहीं कहीं भी समता ।
सर्वेश ! शक्ति हो तुम्हीं शक्ति हीनों की ,
गहते हो दुख में बाँह तुम्हीं दोनों की ॥
৬
अपने बल का अभिमान जिसे होता है ,
क्यों अन्त समय वह मृतक पड़ा सोता रै?
हे विधुवर ! हमको प्राण तुम्हीं देते हो ,
फिर क्या ? जब तुम निज अंश खींच लेते हो ॥
( ८
पुष्पाखलि-सम यह् प्रेम-पुस्तिका लीजे ,
अद्जीकृत कीजे इसे टष्टि-वर दीजे।
वाणीपति हो हरि ! तुम्ही, वम्दीं श्रीपति दी,
अब अधिक कहें क्या, तुम्हीं हमारी गति हो ॥
( साहित्य-पन्निका )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...