अन्न - दाता | Annadata

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Annadata by कृष्णचन्द्र - Krishnachandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ अन्नदाता ११ अगस्त | आज प्रातः बोलपुर से वापल आया हूं, वहाँ डाक्टर टेगोर का -शांतिनिकेवनः देखा । कहने को तो यद्ट एक विश्वविद्यालय है लेकिन शिक्षा की हालत यह दै कि विद्यार्थियों के बेठने के छ्लिए एक बेंच भी नहीं । शिक्षक और विद्यार्थी सभी वृक्षों के नीचे आलती-पालती मारे बेंठे रहते हैं ओर भगवान जाने कुछ पढ़ते भी हैंयथा यों हीं ऊँघते रहते हैं। में वहां से शीघ्र ही चला आया क्योंकि चुप बहुत तेज्ञ थी ओर ऊपर वृक्षों की शाखाओं में चिढ़ियां शोर सचा रही थीं । एफ. बी. पी, १२ अगस्त । आज चीनी राजदूत के यहां लंच पर फिर किसी ने कहा कि कलकन्ते में घोर अकाल पढ़ा हुआ है लेकिन विश्वास के साथ कोई कुछ न कष सका कि वास्तविकता क्या है! हम सब लोग बंगाल सरकार की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं| घोषणा होते ही श्रीमान जी को आगे का हाल लिखू गा । वेग में श्रीमान्‌ मास्यवर की मंझूली बेटी इडिथ के लिए एक जूती भी भेज रहः हँ । यह जूती सन्ज्ञ रंग ॐ साँप নদী জিবন से बनाई गद है । सन्न रंग के सांप बर्मामें बहुत होते है । आशा है कि जब वर्मा पुनः अंग्रज्ञी सरकार के आधीन हो जायेगा तो इच जूतों का ब्यापार बहुत बढ़ सकेगा । मँ ह भीमान्‌ का इत्यादि, एफ, बी. पटाख़ा १३ अगस्त । आज हमारे दृत-भवन के बाहर दो ओरतों की लाशें पाई गई । হস্ত का छाँचा मंलूस होती थीं। शायद्‌ सूखिया? के रोग में अत्त




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