महामंत्र नमोकार वैज्ञानिक अन्वेषण | Mahamantra Namokaar Vaigyanik Amveshan

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Mahamantra Namokaar Vaigyanik Amveshan by रवीन्द्र कुमार जैन - Ravindra Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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13 राजेद्रारे श्मशने च, सप्रामे शत्तुसंक्टे। श्याघ्रचचौरादितर्पादि, भूतप्रेत मयाधिते। 18 अकाले मरणे प्राप्ते दारिद्रयाषत्समाधिते। भापुत्रत्वे महादुखे, मूर्खत्व॑ रोगपीडिते ॥1911 डाकिनी शाकिनी पग्रस्ते, महाप्रहगणादिते। नह त्तारेःध्ववेषम्ये, व्यसगे चापदि स्मरेत्‌ 1201 प्रातरेव समृत्थाप, य पठेज्जिनपजर । तस्य किचिषश्भयं नास्ति, लभते सुखसम्पद ॥2111 जिनपंजरनामेद य, स्भरत्यनुवासरम्‌। कमलप्रभ राजेनद्र, क्नीय स लभते नर 82211 प्रात, समुत्याय पठंत्कृतशो, य स्तोतरमेतज्जिनपिजस्य । आसादयेव सः कसलप्र भार्य, लक्ष्मी मदोवांछितपूरणाय ॥2 311 श्री रव्रपललीय वरव्य एबगच्छे, देवप्रभाचारयप ।बजहस । वादीन्द्रचूडामणिरंष जेनो, जोयादसो श्री कमलप्र भारया' 12411 प्राचीन मन्त्र शास्त्रों में आत्मरक्षा इन्द्र ककच का वर्णन मिलता है। “मंत्न- घिराज चिन्तामणि श्री णमोकार महामत्र कलम ” आदि ग्रन्थों मे इस प्रकार है -- 1. ॐ णमो अरिहताण ह्या हृदयं रक्ष रक्ष हु रट्‌ स्वाहा । 2 ॐ णमो सिद्धाण हीं शिरो रक्ष रक्ष हु फट स्वाहा । 3 3» णम्तो आयरियाण हूं शिखा रक्ष रक्ष हुं फट स्वाहा । 4. ३» णमो उवज्ज्तायाणं हैं एहि एहि भगवति वज्य कब बज़िणि वर्िणि रक्ष रक्ष हुँ फट स्वाहा । 5 ॐ णमो लोए स्व साहूणं ह क्षिप्र क्षिप्र साधय व्रजहस्ते शूलिनि दुष्टान्‌ रक्ष रक्ष हूं फट्‌ स्वाहा । णमोकार मन्त्र व्रतो का विधान भी है। जो 18 मास मे 35 दिन में होता है। मन्त्र साधना के क्षेत्र मे, अनुभवी साधको से जानकारी प्राप्त कर लेना छपयोगी रहता है। णाणसायर (जेन मासिक) का णमोकार विशेषाक प्रकाशित हुआ है। जो बहुत चचित रहा। साधक उसे भी देखे । यदि आपकी कोई समस्या या जिज्ञासा है, तो अप निसंकोच लिख सकते है। मेरा दुढ विश्वास है कि आपकी हर समस्या का समाधान णमोकार मन्त्र मे है, आशा है आप इस महामन्त्र की आराधना और साधना कर अपने जीवन को पावनता के उच्च शिखरो पर छग्नतर करेंगे । भवडीया दिल्ली, 16 अक्टूबर 1993 कुमुम जैन सम्पादिका-णाणसायर (जैन त्लमासिक )




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