ब्रह्म्चर्य्य - सन्देश | Brahmcharya - Sandesh
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.97 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रद्धानन्द सन्यासी - Shraddhanand Sanyasi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रह्मचर्यसेस्देश कक -जम्टदिट १९९ रह पथुना चब्साय क्या यह विपय गोपनीय है ? ट्ः एक गन्द॒ वातावरण में सौंस ले रहे हैं । हरेक श्वास के साथ न जाने कितने गन्दे विचार हमारे दिमाग में जा पहुँचते हैंश्रीर न जाने कितने ही श्रोर भीतर प्रविप्ट होने की तैयारी करने लगते हैं । नन्हे-नन्हे बालकों का मस्तिष्क तया हृदय कोमल कॉपलों के फूटने श्रोर सुरभित कु्तमों के खिलने से उललसित होने वाले नवयोवन में ही दुर्गन्धयुक्त कीचड़ से भर जाता है । श्राठ था दस वर्ष के वालक के चेहरे को देखने से कुछ पता नहीं चलता परन्तु उस के बन्द हृदय-कपाट को खोल कर देखा जाय तो श्रन्दर एक भट्टी धघकती नज़र श्राती हैं जिस की लपटों से-- जो थोड़ी ही देर में प्रचरड रूप धारण कर सेंगी--वह बालक मुलसन वाला होता है । वह नहीं चाहता कि उस के भीतर माँका जाय । इस का विचार ही उसे कंपा देता है नख से शिख तक हिला देता है । वह जानता है उस के भीतर कीचड की
User Reviews
No Reviews | Add Yours...