अंडमान - निकोबार की लोक कथाएं | Andmaan Nikobaar Ki Lok Kathayen

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Andmaan Nikobaar Ki Lok Kathayen by बलराम अग्रवाल - Balram Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नारिय्ल्‌ का जतम्‌ || पुराने समय मे कार-निकोनार के एल्कामेरो में दो मित्र रहते थे। एक का नाम असोंगी ओर दूसरे का || || एनालो था। दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। वे साथ-साथ काम करते, जो कुछ वे कमाते उससे || ॥ साथ-साथ खाते ओर दुःख-सुख मे साथ रहते । दोनों पुरे दिन काम मे लगे रहते थे। कार-निकोबार मे एक बार सूखा पड़ा । हालांकि निकोबार चारों ओर समुद्र से घिरा था लेकिन पुरे साल पानी की एक वृद भी नहीं बरसी थी । सारे कुँ सूख गए थे । मनुष्य, जानवर, पक्षी बिना पानी के मर रहे थे! | असोंगी एक अच्छा जादूगर था। उसके गोव वाले ही नहीं दूर-दूर से दूसरे लोग भी उसका जादू देखने || || को आते थे। एक दिन दोनों दोस्त घास काटने को गए। असोगी को अपनी दरी तेज करनी थी, लेकिन | || आसपास कहीं पानी नजर नहीं आ रहा था। एसे में असोंगी जंगल में घुस गया और जादू के बल पर जमीन || से पानी निकाल लिया। उसे लेकर वह अपने मित्र एनालो के पास आया। एनालो को बड़ा आश्चर्य हुआ। “यह पानी तुम कहाँ से ले आए?”' उसने असोंगी से पूछा। “जंगल के भीतर से।'' असोँगी ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया। “देखो, मैं तुम्हारा सबसे गहरा दोस्त हूं ।'' एनालो लालचयपूर्वक बोला, ““ मुञ्चे भी यह जादू सिखाओ न ! ' || ““एनालो, मेरे दोस्त, मुञ्चे तुम्हारी दोस्ती पर कोई शक नहीं ' ' असोगी ने सपाट आवाज में बोलना शुरू किया, “लेकिन, मेरे गुरुजी का कहना था कि हर विद्या हर आदमी को नहीं सिखाई जा सकती । इसलिए... |! .. “अच्छा! तो मैं जादू सीखने के योग्य नहीं हूँ ?'” उसकी बात सुनकर एनालो क्रोधपूर्वक चीखा। इस नाराजगी में उसने अपने मित्र का सिर धड़ से उड़ा दिया। असोंगी के धड़ को उसने वहीं दफन कर दिया और सिर को लेकर घर आ गया। घर पर उसने असोंगी के सिर को एक खम्भे पर लटका दिया। रात में वह सिर एनालो से बहुत-सी बातें किया करता था। इससे डरकर एनालो गाँव छोड़कर भाग गया। वह दूसरे गाँव में जा पहुँचा। वहाँ उसने शादी की और आराम से रहने लगा। कुछ समय बाद उसके घर एक पुत्री का जन्म हुआ। वह एक खूबसूरत लड़की थी। सभी उसे प्यार करते थे। एक बार अचानक लड़की बीमार पड़ गई। एनालो ने उसका बहुत इलाज कराया लेकिन किसी भी दवा से उसे आराम नहीं हुआ। | दुःखी ओर थका-हारा एनालो एक रात जल्दी सो गया। गहरी नींद में उसने एक स्वप्नं देखा। सपने में उसके दोस्त असोगी के कटे हुए सिर ने उससे यह कहा ““इस सिर को जमीन में दबा दो । उससे एक पेड उगेगा। जब उस पर फल आ जाएं तब उस फल को | तोडना। उस फल को काटने पर उसके भीतर पानी निकलेगा। वह पानी अपनी बेटी कौ पिला । वह ठीक हो जाएगी ।'' एनालो कौ नींद टूट गई । वह मुँह-अँधेरे ही उठ बैठा और दौड़ता हुआ अपने पुराने = गव में पहुंचा । घर में खम्भे पर लटके असोगी के सिर को उसने उसके बताए अनुसार जमीन मे दबा दिया । कुछ समय बाद उस सिर से एक पेड़ पैदा हुआ। उस पर फल लगे। एनालो ने फलों को बीच से काटा | ओर पानी निकालकर बेरी को पिलाया । कुछ ही दिनों मे लड़की बिल्कुल चंगी हो गई । एनालो उसे स्वस्थ ` देखकर बहुत खुश हुआ। उसे दुःख हुआ कि उसने असोंगी जैसे भला चाहने वाले मित्र के साथ घात किया। ` निकोबार के लोग आज भी नारियल को असोंगी के सिर से पैदा हुआ फल मानते हैं। अण्डमान-निकोबार की लोककथाएँ / 15




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