मुनि अभिनन्दन ग्रन्थ | Muni Abhinandan Granth
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीचन्द सुराना 'सरस' - Shreechand Surana 'Saras'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ९१२ |
कु श्रावको ने मिलकर अपनी स॒ भावना को भुनिश्री के
समक्ष व्यक्त किया । मुनिश्रवी ठहरे--अलोणपलोणगुत्त --बडी
कठोरता के साथ उन्होने नकार दिया। श्रावक चुप हो गए।
पर अन्तर की भावना दव नहीं सकी, समय-समय पर हम आग्रह
करते रहे, मुनिश्री ठुकराते रहे, इस तरह कई वप गुजर गये ।
आखिर इस वष व्यावर श्रीसघ के प्रमुख महारथी श्री चिमनर्सिहजी
लोढा, आदि अनेक व्यक्ति मुनिश्री के चरणी मे हृढ-सकल्प करके
बैठ ही गये, लम्बे आग्रह के बाद मुनिश्री को श्रावकसघ का
आवेदन स्वीकार करना पडा और अभिनन्दन समारोह के आयो-
जन की रूपरेखा वनी 1
मूनिश्री की मन्तर-उच्छा थी कि टस आयोजन को आध्या-
त्मिक रूप दिया जाय | कम से कम प्रचार व कम से कम
आडम्बर हौ । हमने मूनिश्री की भावना को ही आदेश
मानकर प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ का आकार-प्रकार भी वहुत
लघु कर दिया, ताकि हमारी श्रद्धाभिन्यस्जना भी हो जाय
सौर अधिक प्रदणन की भावना न क्षलके । अभिनन्दन समारोह
के अनेक मायोजनो मे 'मुनिद्रय मभिनन्दन मन्य' एक आयोजन
है, जिसका दायित्व मैने अपने ऊपर लिया था । सके सम्पादन
मे श्रद्धेय श्री देवेन्द्रमुनिजी, महासती उमरावकवरजी 'अचना'
का जो मागदश्न एव सहयोग मिला है, वह् अविस्मरणीय रहेगा ।
सम्पादन का प्रमुख भारतो श्री चन्दजी सुराना सरस के कधो
पर डालकर मै निश्चित था! उन्होने मल्प समयमे ही अत्यधिक
श्रम व सूझ-बूझ के साथ ग्रन्थ को जो नयनाभिराम साथ ही
जनोपयोगी रूप दिया है, वह पाठकों के करकमलो मे प्रस्तुत है |
मैं सम्पादक बन्धुमो तथा भुनिश्वी हजारीमलस्मृतिप्रवाशन
व्यावर, कार्यालय के प्रमुख उत्साही कायकर्ता श्रीमान सुजान-
मलजी सेठिया आदि का हृदय से आभार मानता हू और आशा
करता हू हमारा यह सत्प्रयास सुधीजनो में एलाघनीय होगा
->-चादसल चोपडा
महावीर-जयन्ती
१५ अप्रेल, १६७३ (न्यावर)
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