बंदी जीवन : भाग 1, 2, 3 | Bandi Jeevan : Part 1, 2, 3
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
464
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( 158 )
` नेतागण श्ररविद घोष के दाशनिक विचारों से प्रंतरंग रूप से प्रभावित हो रहे थे ।
इससे बढ़कर सन्तोप अपने जीवन में मुझे वहुत कम मिला है। मेरे मानसिक
ढ्ंद्ों के इस अंश को विना समझे वन्दी जीवन' के बहुत-से स्थानों को पाठक ठीक
से नहीं समझ पाएँगे । ऐसी मानसिक परिस्थिति में मैंते ऋन््तिकारी दल में
काम किया एवं इसी मनोवृत्ति को साथ लेकर मैं जेल गया, कालेपानी भया झौर
लौट मी श्राया। 7
सन् 1920 के बाद जब में कालेपानी से लोटकर प्राया तेत्र महात्मा गधी
मारत के राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी कार्यत्रणाली को लेकर अवतोर्ण हो चुके थे।
महात्मा माधी कौ हिसा नौति के कारण, एवं महात्मा गांघी ऐसे महान् व्यत्रित
का भारत के राष्ट्रीय प्रान्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण भारतीय
क्रान्तिकारी ्रान्दोलन को काफी वाचा पहुंची 1 महात्मा गाधी यह् भचार करने
लगे कि मारतीय प्राचीन अदर के साय भारतीय क्रान्तिकारी यान्दोतन कास्म-
न्वय नहीं हो सकता । मानो प्राचीन भारतीय आदर्श में श्रीकृष्ण का एव कुछक्षेत्र
के महायुद्ध का कोई स्थान ही नहीं है। महात्मा गांधी की तरह संस्कृत पाठ-
शालाप्रों के छात्र एवं अध्यापकग्रण मी भारतीय प्राचीन সাহা के नाम पर भार-
तीय क्रान्तिकारी आन्दोलन के विरुद्ध तीद्न प्रचार किया करते थे। इस प्रकार से
हिंसा एवं अदिसा की नीति को लेकर मेरे मन में दूसरा संघर्ष उत्पन्न हुआ या,
लेकिन यह इतना तीब्र न था । महात्माजी ने वेलगांद कांग्रेस में क्रान्तिकारियों के
विरुद्ध जो कुछ दोषासेपण किए ये उसके अत्युत्तर में मैंने फरार हालत में महात्मा
जी के पास अपने नाम से एक चिट्ठी भेजी थी, वह चिट्ठी ज्यों की त्यों 12 फरवरी
खन् 1025 कौ यंग इंडिया में प्रकाशित हुई थी। उत्ती अ्रंक में महात्माजी ते उसका
उत्तर भी दिया था 1 ः
कालेपानी से लोडने के वाद संभवत: सन् 1928 में हो में पहले पहल कम्युनिस्ट
सिद्धान्तो चे परिचित हुआ । यह एक नवीन सिद्धान्त था जिसके साथ त्रान्तिकारी
दल के किसी व्यवित का भी उस समय यथार्थ परिचय न था। तसश्चात् सन् 1925
में जेल जाने के पहले मैं कम्यूनिस्ट सिद्धान्त के साथ यथेष्ठ रूप से परिच्ित हुमा 1
बहुत से प्रामाणिक ग्रम्थ पढ़े, कम्यूनिस्टों के साथ खूब वाद-विवाद किया, विचार
विनियय किया । एक तरफ मैं ख्ान्तिकारी झान्दोलन ये लुटा था दूसरी तरफ
'बन्दी जोवन के दूसरे माग का सम्पादन-कार्म भी कर रहा या, एवं कम्यूनिस्ट
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