बोधिचर्यावतार | Bodhichryavatar

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Bodhichryavatar by शान्तिभिक्षु शास्त्री - Shantibhikshu Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्रन्थपञ्जी (9701092791079) बोधिचर्षावतार (मूल कारिका) सपादक 1 ? )थाए99र्ली, 1889 बोधिचर्षाउतार (मूल कारिका) न० १ का प्रतिमुद्रण [णएगवों ण ता 3प्रततााक 6509090100১ 0910069১ 1894 बोधिचर्यावतार (मूल कारिका) भोट अनुवाद के साथ । न०२ कौ सस्कृत फारिकार भोदानुवाद के आधार पर शोधित तथा भोटानुवाद साथ साथ । पहले मल इलोक, फिर उसका भोदानुवाद। हाशिए पर झोधित पाठ। यह मेरी अपनी हस्तलिखित पुस्तक हूँ । वोधिचर्पावतार पजिका (बोधिचर्यावतार को मूर कारिकां तया भ्रज्ञाकर- मति की टीका) सम्पादक. ४२11८६८ 70115517১ 7311311001)002, 1170109, 0216४12, 1901-1914 पजिश्ला खडित हं । दशम परिच्छेद, ३।२३-३३, ४१-४५, ८११०९-८६ इसमें नहीं हे । बोधिचर्पावतार (मूल कारिकां तथा वगान्‌ वाद) कपिलाश्नम, मधुपुर, विहार से प्रकाशित | इसकी मेरी अपनी प्रति थी, जो अव विद्यालंकार परिवेण, लका में हँँ। न० ४ के अनुसार इसमें कारिकाएँ हे। फलत जहां पर्जिका फे खटित होने से फारिकाएँ नहीं मिलीं वहा उन्हें छोड दिया गया हैँ । अन्‌वावक को नं०१ तथा न०२ के ग्रथो का पता नथा। [01197 12051500007 13301)10975252021% 3 1, 10138200010 1.गात०ा 1909 यहु वस्तुत सकिप्तान्‌वाद हे । विशेष कर नवम परिच्छेद जो दाक्षनिकं विवय प्रस्तुत करता है, बहुत ही सक्षिप्त कर दिया गया हूँ । शातिदेवेर बोधिचर्यावतार (शाति निफेतन से प्रकाशित बोधिचयवितार के माठ परिच्छेदो का वगानुवाद) इस अनुवाद का জাছাহ ग्रन्य न० ४ हं! आरभ से लेकर ८वें परिच्छेद के कुछ अश्य तक का मुद्रण हो चुका था तव इसके अनुवादक श्रो सुजित्कुमार मुखोपाष्याय ने इसकी मुझ से चर्चा की। चर्चा के फलस्वरूप छूटी हई कारिकाएं न° २ तया न० ३ के आधार पर परि- श्रिन्ट मे सम्मिलित हो सरको! दस्र वात की चर्चा अनुवादक ने मुखबन्ध में यो फी हँ--/ 1.3 ९८ एण्ड का सस्करण किया ग्रन्थ खडित और अस- स्पूर्ण हैँ तृतीय परिच्छेद के तेतीस इलोको में से पहले के केवल बाईस, चतुर्य परिच्छेद के अडतालीस इलोको में से अन्त फे केवल तीन, तया अष्टस परिच्छेद फे एक सौ छियात्ती इलोको में से केवल एक सौ आठ इसमें पाये




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