ज्ञान कथाकुज्ज | Gyan Kathakujj

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : ज्ञान कथाकुज्ज  - Gyan Kathakujj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कस्तूरचन्द्र जैन 'सुमन ' -Kasturchand Jain 'Suman'

Add Infomation AboutKasturchand JainSuman'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
४ दृढ सकल्पी भील ५ अविवेकी पिता विवेकी पुत्र ६ अतिलोभी को सुख नही ७ पित्ता का पुत्रस्नेह पात्रदान की महिमा न्यारी ६ मृगसेन धीवर व्रत-फल १० पुण्यात्मा धन्यकुमार ११ लक्ष्मी सर्वत्र पूज्यते १२ बुरा जो चेते ओर का उसका पहले होय १३ काम कराने की कला १४ जैसी बनी बना हो वैसा १५ निन्यान्नवे का फेर १६ बुरी नियत का बुरा नतीजा १७ उदारता का मधुर फल १८ जैसी आवक वैसी जावक १६ ज्ञान बिना चिन्तामणि पत्थर २० निज बोध बिना है सिह स्यार २१ छिपे न साचा प्रेम (१) समीक्षा 'रानी का अविवेक शीर्षक कथा ज्ञानसागर वाड्मय मे “गुण सुन्दर वृत्तान्त नामक रचना के पृष्ठ १७ से २४ पद्य ३० से ६५ से रूपान्तरित की गयी है | इसमे विद्याधर कालसवर की रानी सुभगा को नि सतान बताकर प्रद्युम्न की उसे प्राप्ति ओर उसके द्वारा उसका लालन-पालन दर्शाकर अन्त मे रानी का उसी पर कामासक्त होना बताया गया है । इस कथा मे लेखक ने कालसवर को केवल विद्याधरो का नायक कहा है जबकि महापुराण मे इसे विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के मेघकूट नगर का विद्याधर राजा कहा गया है । लेखक ने रानी का नाम सुभगा ओर प्राप्त पुत्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now