विश्व इतिहास प्राचीन काल | Vishv Itihas (Pracheen Kaal)

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Vishv Itihas (Pracheen Kaal) by डॉ. रामप्रसादत्रिपाठी - Dr. Ramprasad Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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०० লা চাবি আলি ০ ~ ~ ~ क बढ [क > थे পথ নি তি स (ल्ल भ उ चद আল চটে भूमिका सृष्टि का आरम्भ सृष्टि का आरम्भ कब हा! सृष्टि का आरम्भ कब और कैसे हुआ, इतिहास नहीं जानता । यह विषय उसके क्षेत्र का नहीं। विज्ञान के अन्य शास्त्र इस पर कुछ प्रकाश डालने का प्रयत्न करते है । इतिहास यह मी नहीं जानता करि आदिम मनुष्य पृथ्वी पर कब और कैसे उत्पन्न हुआ । जन्तु-विज्ञान एवं मानव-विज्ञानवेत्ता कहते ह किं विकास-सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का आविर्माव ऊँची नस्क के बानरों से हुा । मनुष्य वस्तुतः वानर का सर्वोत्तम विकसित रूप है । वानर का इतना परिष्कार हुभा कि वह अपनी कोटि से एक प्रकार से बाहर निकलकर दूसरी कोटि में चलछा गया । यद्यपि मूलतः ढाँचा वही है तथापि शरीर की बाहरी रूपरेखा तथा मस्तिष्क की रचनां में ऋान्तिकारी विभिश्नता है। मनुष्य की विशेषताएँ इतनी अधिक और महत्त्व- पूणे हं किं उसकी किसी समय. अक्षरशः मनुष्य होने की कल्पना दुष्कर ही नही, वरन्‌ उपहासजनक प्रतीत होती है । उक्त सिद्धान्त पर विज्ञानवादी जितना जोर डालते हैं उतना ही उसका विरोध विभिन्न धर्मावलम्बी करते हैँ। इस शती के रुगभग पचास वर्ष से दोनों दलों में बहस होती रही है। धर्मावल्‍ुम्बी प्रायः यही विश्वास करते हैँ कि ईदुवर नें मनुष्य की वैसी ही स्वतंत्र कोटि बंनायी है जैंसी विभिन्न पशु-पक्षियों की, अस्तु । मानव की. उत्पत्ति दूसरा महत्त्वपूर्ण प्रन यह है कि आदिम मनुष्य का आविर्भाव कहाँ गौर कब हुआ । कुछ विद्वानों का अनुमान है कि मनष्यरूप में उसकी उत्पत्ति अफ्रीका में. हुई। मेकइन्स ने उस क्रान्कारी घटना का रंगमंच यूगाण्डा और केनिआं को . निर्धारित किया, क्योंकि आज भी वहाँ पुच्छहीन नराकार वानर मिलते ভ্। জলা ` _ करोड़ वर्ष पूर्व अफ्रीका, अरब तथा भारत परस्पर मिले हुए थे, क्योंकि उस समय लाल




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