इंग्लैंड का इतिहास | England Ka Itihas

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England Ka Itihas by डॉ. रामप्रसादत्रिपाठी - Dr. Ramprasad Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसाई धर्म का श्रागमन झ कमंशील सिद्धान्त के कारण वे उनकी श्रपेक्षा न कर सकते थे । एथेलबर्ट ने उन्हें घ्म प्रचार की आड्ञा दे दी । केन्ट--इस प्रकार इन मिशनरियों के सरल श्र सत्य धर्म के झनेकों अनुयायी हो गये, जिनमें एथेलवट स्वयम्‌ू शामिल था । राजा ने झ्रागस्टिन को केन्टरबरी में एक उजडा गिरजा दे दिया जिसका नाम 'क्राइस्ट चर्च रकखा गया । उसी स्थान पर आज केन्टरच्री का महान गिरलाघर स्थित है, जिसका श्याकबिशप इंग्लैंड के चचें का झरधिष्राता है । नाथस्त्रिया--निस प्रकार फ्रान्स की राजकुमारी से विवाह हो जाने से कैन्ट में ईसाई धर्म प्रचलित हो गया. उसी प्रकार दूसरे विवाद से यह धर्म उत्तर की ओर बढ़ा । एपेलबरट की प्री एयिलवर्गा ने नौर्थम्त्रिया के शक्तिशाली राजा एडविन से विवाह कर लिया । राजकुमारी के साथ पौलिनस नामक एक मिशनरी भी वहाँ गया । एडण्नि का ईसाई घम मे सम्मिलित हो जाना एक महत्वपूण बात थी | इसके लिए, पालिनस और रानी ने भरसक प्रयल किये होंगे । पोप ने भी पत्र और उपदार भेजे । एडविन पर उनके विचारों का प्रभाव हुश्रा | उसने झपने सभासदों से सम्मति मॉगी । उनकी सम्मति से उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया श्रौर उसकी प्रज्ञा से भी उसका श्रनुकरण किया । एडविन ने सच्चे हृदय से इसाई धर्म प्रहण किया या | किन्तु सहसा घर्म- परिवर्तन कर लेने वालों में प्रायः धार्मिक दृढता नहीं रहती । एडबिन मर्सिया के राजा पैन्डा के साथ युद्ध में मारा गया । पैलिनस श्र ऐ.थिलवर्गा भाग गये । पैन्डा विधर्मी था । नौथम्त्रिया के बहुत से ईसाइयों ने धर्म परित्याग कर दिया । इसीलिए, ओसवाल्ड को, जो कुछ वर्ष बाद गद्दी पर बैठा, ईसाई धर्म के उपदेशक फिर बुलाने पड़े थे । अचकी बार उसे कैरिटक लोगों की सहायता भी मिल गयी । ऐडन -जब्र पैन्डा नौर्थम्त्रिया में लूट कर रहा था, झोसवाल्ड ने झायोना के पादरियों की शरण ली थी | झ्तः श्रायोना से ही उपदेशक बुलाये गये थे । एक के श्रसफल रहने पर ऐडन चुना गया । उसके प्रयत्नों से नोथस्त्रिया में ईसाई घर्में पुनः प्रचलित हो गया | किन्तु जत्र तक पैन्डा जीवित रहा; ईसाई धर्म की स्थिति डॉबाडोल रही । उसने ईमाइयों पर श्रत्याचार नहीं किये; किन्ठ॒ उसे उनसे घृणा -थी। उसने प्राचीन देवताश्रों की मेट-पूजा को स्थापित रखा। उसकी सत्यु ५५४ ई० ) के गद शीघ्र ही साग दीप ईसाई हो गया। सैक्सन लोग पहले डिन' श्र 'थॉर' की पूजा किया करते थे । उनकी पूजनविधि श्र विश्वास रणप्रेमियों के से थे । वे घोडों आदि पशुत्ओों का वलिदान करते श्रौर धर्माथ खूब मदिस पीते श्रौर भोज देते थे । उनका धर्म भयमूलक न था । उनके देवता भी सुख-दुख के साथी थे । उनका धर्म उनके जीवन की कर्कशता का प्रतिविम्ब्र था, किन्ठ॒ वे वीरता; उदारता, स्वामिभक्ति, वफादारी, और सत्यता का बडा मान करते थे ।




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