जैन लेख संग्रह (द्वितीय खंड) | Jain Lekh Sangrah (Dwitiya Khand)

Jain Lekh Sangrah (Dwitiya Khand) by पूरण चन्द नाहर - Puran Chand Nahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५) सन पत्रांक | स्थान पत्रांक राह ड्रा- सिराही । श्री तारगा तीथे । श्री जेन मंदिर খু २७६ धरो भजितनाथ ख्वामी का मंदिर ... .~ १७९ नारज - सिरोही । श्री शच्रुजय तायं । छी जन मदिर ৪ ৭$৫ दिगम्बर मंदिर ४३४ १७६ | रि का নি ' 1 गुडा - {सरोद । पाक्लीताना । श्री जेन मदिर व २७८ | श्रो सुपतिनाथयजी का मंदिर রন ,.. १७४ तिवरी - सिरोही । तल्लाजा ~ का ठियवाड्‌ 'भो जेन मैंदिर 4৪ | जन सूतिं पर রর ... १८६ पाडत - [सरोद । | शिलालेख .. .... १८८ शवौ जेन मद्र । हे ३. सिहार - काठियात्राड़ । লনা” सिरोह । + ै री खुप।श्लेनाथजी का मंदिर .. ... १७४ श्री जेन मदिर ह २७६ ' की (6 [रं धाघा - का ठियावाड़ । निद्ज़ - सिरोह) ॥ क्‍ ` श्रो सुविधिनायजो का मंदिर म १८१ और मेन मंदिर हि २७६ ` ह रे ^ ^ । च | সা ग गुदर খা छुड़वाल - सिरोही । १५19-2७ 30 श्री जैन मंदिर | রি দর श्री जन मंदिर ए ,.. १८ ˆ ह शोयाखबंट - का तियावाड़ । थो पाश्चनाथजी का मंदिर हि ... ६८ श्रो जैन मंदिर न ` ^ जामनगर - का ठियावाड़ खीमत-+-प्रानक्षणपुर ।




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