श्री जैन सिद्धांत बोल संग्रह | Shri Jain Sidhant Bol Sangrah Bhag-1

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Shri Jain Sidhant Bol Sangrah Bhag-1 by भैरोंदान सेठिया - Bherondan Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(११) आईत प्रवषन और जैन दर्शन अ्ंथ तैयार करा कर प्रकाशित कराये । स॑० २००२ में भरी दशवेकालिफ़ सत्र भ्रन्पय सहित शब्दार्थ धर संर्घिप्त माबार्ध सद्दित निर्माण करा कर प्रकाशित किया | झ्ापकी क्षान पिपासा एवं प्लान प्रचार फ्री माषना के पर्स स्परूप संस्था से १११ पुस्तक प्रकाशित हुई हैं । इनके सिवाय ठच्चराध्ययन एवं भ्राचारांग प्रथम खयद मृक्त शब्दार्थ, भन्ययार्थ रशा संधिप्त मावार्थ सद्दित संबत्‌ २००४ में सैयार फराये हैं खो शीघ्र ही प्रछाशित होने ধাতী £। ब्रापकी दानवीरता एपं समाध् तथा घ्म की सेवा का सम्मान फर सन्‌ १६२६ में भखिल्त मारतवर्षीय भी श्मेता- म्बर स्थानकवासी खैन कान्फरन्स के क्ार्यकर्साशों ने झ्ापको कान्फरन्स फ्रे पम्भई में इोने बास्ते सप्म झधिपेशन का धमा- पति चुना । कान्फरन्स का पद्ट अभिषेशन बड़ा शानदार और सफ्त हुआ। झापक्की दानशीज्षवा के श्रमाव से उस अधिवेशन में एक सास से भभिक फ़यट इकट्ठा हुआ | समाज भर धर्म की सेवा के साथ भापन बीफानेर नगर और राज्य की भी सेवा की। लगमग दशा वर्ष तफ़ आप मौकानेर स्थूनिसिपक्त बोर्ड के कमिझर रहे। सन्‌१६२६ में सप से पहले जनता में से भाप डी सर्व सम्मति से बोर के घास प्रेसिडेन्ट चुन गयं। सन्‌ १६४१ में राज्य ने झ्रापको ओऑनररी मजिस्ट्रेट भनाया। खगमग सदा दो वप तक ক্যা ङ्व सोपः भॉनरेरी मजिस्ट्रेंट्स में कार्य करते र४ई! आापझ दैसल किये हुए मामलों षी সায়া আবী हुई ही नहीं, यटि दो एक हुए मी यो भपीसेंट कोर्ट में मो आप हो की राय




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