बाई अजीतमति एवं उसके समकालीन कवि | Baai Ajitmati Evam Uske Samkalin Kavi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Baai Ajitmati Evam Uske Samkalin Kavi by कस्तूरचंद कासलीवाल - Kasturchand Kasleeval

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कस्तूरचंद कासलीवाल - Kasturchand Kasleeval

Add Infomation AboutKasturchand Kasleeval

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जाया करती थी तो लोग उत्ते पूणिभा का बरद समझ कर ब्ाकाश में देखते लख्ते थे । ककि के वैसे हो सभी वर्शान एक से एक बढ़ कर है लेकिन इनमें यशोभर की सनी धतत कै सौन्दर्य एंव उसके विवाह कां वरतं कत पष्य हैधा है । प्रत्येक रीति रिवाज का यदौ सूढभेता चे दर्शने कियो मयौ ह ধাবা की पंहर्सेणी होन एकं महत्वपुरो रिवय मोना जाता. है कविं ने लिखा हैं कि पहुरावरती के লি परिवार ईं सथो सदस्यं एंकज्ितें हों गये हैं। राजा येशौधर प्रपेती रनों भंभृतभं्ती के रूप सौन्दर्य पर मुस्थ थो। रात्रि को अब वह धंमृंतमर्ती के महस॑ में गंवा জী वको एक २ मंजिल पर जितना स्वागत हुआ्रा कबिं ने उसका बहत दुतम वैर॑नि किया है उसने प्रपने जीवन में उसे झगमृत के समान समक्ता। यशोमती रानी का बसन्‍्त कीड़ा का बर्सात भी श्रनूठा हुप्रा है। इन सबके झतिरिक्त मुनि सुदत्ताचार्य द्वारा धर्मोपदेश का भी कवि ने १३६ पद्मों में बर्शान किया हैं। पूरा रास काब्य & प्रश्िकारों में विभक्त है जो किसी काव्य के खिद्े पर्याप्त कहे जा सकते हैं । इस भाग में परिमल्‍ल चौधरी के श्रीपाल चरित्र का एक भाग ही दिया जा सका है शेष सभी कवियों की सभी रचनाश्रों के पूरे भाग इस में दिये गये हैं। यशोषर रास इद्व्य ही एक क्राव्य है, इसके भ्रतिरिक्त बाई भ्रजीतमति की € कृतियां, महेन्द्र कीर्ति के पूरे १५ पद एवं धनपाल के ४ गोत्र इस प्रकार ३० मूल कृतियों के पाठ भी दिये गये हैं । सम्पादक संडल :--- भस्तुत पुष्प के संपादक मंडल में माननीव डॉ० हीरालाल जी माहेश्वरी, डॉ० राजाराम जी जेन एवं ढॉ० गंगाराम जी गर्ग हैं। डॉ० माहेश्वरी राजस्थान विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में रीडर हैं। भाष राजस्थानी भाषा के जाने माने इतिहासश विद्वान एवं लेखक हैं । श्रकाद भी पर সাক্ষী विशेष कृपा रहती है प्रापने विद्वतापुर्व दो शब्द” व्यक्तव्या लिखने की जो कृपा की है उसके लिये हम उनके भरत्पन्त भाभारो है। হাঁ राजाराम जैन मम विश्वविज्ञालय के प्राकृत एवं प्रपश्ञ झ के प्रोफेसर है उमाज प्रायकी विद्वता से बिरपरिजित है। इसी तरह ढों० भंभाराम जी समं युवा पीढ़ी के विद्वादू है। जेन साहित्य पर शोध कां भापकी सा च में शासिल है । খাদরহার লিজা অং: জাগই গঞ্জ আজ কী है। तीनो ही विद्वानों के हम दुंदय से झाभारी हैं । भकादमौ के संरक्षक श्री विशेल कुमार जी सेठो ने “संरक्षक की शोर से दो शब्द लिने की महती हषा कीरै) सेहीं साहब उदार ध्यक्तित्व के भनी {अ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now