आरोग्यशिक्षा | Arogya Shiksha

Arogya Shiksha by पं. मुरलीधर शर्मा राज वैद्य - Pt. Muralidhar Sharma Raj Vaidya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाग है. (१७) पालका पका आम अत्पंत मीठा खुखादु लवूप्गकफांपित्त- करता बलवीर्य वद्धक है । पालमें ज्यादे पका उतराहुआ अधिक मीठा नहीं रदता तथा वातकारक द्ोजाताहे । पेबंदी आम आति मघुर भारी कफ पित्तकर्ता होताहै । दिछीमें सरोली आम बडा नामी मीठा ददोताहै । पतले रसका मीठा आम श्रेष्ठ दोताहै और गाढ़े रसका गरिछ और भारी दोताए । आमका निचोडा रस कफ वातकारी गरिप्ठ तथा बल- बद्धक दोताहे । आमके रसकी खुश्क पथडी भारी देरसे पचनेवाली और वातनाशक होतीदे । आम अधिक खाने ( चूसने ) से मेदाझि विपमज्वर सांधि- राविकार कयजियत अफारा तथा नेत्ररोग होनेका भय है। थे उपरोक्त दोप खंट्टें निकम्मे आमके हैं उत्तम मीठे आम गुणकारी ही दोतेहें । आमका रस दूधके संग खाना या आम खाके दूध पीना बहुत युणकर्ता है वीये और रूपको बढ़ाताहे । यादि आम खानेसे पेट फूले या गढबढ हो तो सोंठकी फंकी लेके गरम द््घ पीचे । यदि आम खानेसे अतिसार दो ( दस्त ज्यादे हों ) तो आमवकी गुठली ही भूनकर खावे । यदि आम खानेसे गरमी अधिक हो शिर आखोंमिं जलन या चक्कर मालूम दे तो मिश्री युक्त धारोप्ण गोदुग्घ पीचे ! “केला” शीतल है खिग्थ हे वि्ंभी ( कारबिज ) है घृप्यहे नेच्ररोग और भमेदनाशक है बेबईका केला बहुत मीठां दोताहे ओर कोकनी केला भी बडानामी होता है । “३




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