राजा नल का जीवन चरित्र | Raja Nal Ka Jeevna Charita

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Raja Nal Ka Jeevna Charita by पं. मुरलीधर शर्मा राज वैद्य - Pt. Muralidhar Sharma Raj Vaidya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. मुरलीधर शर्मा राज वैद्य - Pt. Muralidhar Sharma Raj Vaidya

Add Infomation About. Pt. Muralidhar Sharma Raj Vaidya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[93] करने बाली' मुझ की ही. वरंती है; वह वाछा मे को घोली कि. हैं 'निंरासिमं “सब 'देवतों सहिंच आओ जहीं | | मेरी 'स्वयंवरहे, 'हेनवेपे में 'तेमं को उनके संमीप बरूंगों हैं महा चाह इसे प्रकीर श्राप का दीप बेटी -होंगा हे सगे : कें “ईश्वर ' देवलाघ्रो, इतनी “ही वुत्तान्तें स श्रकॉर' संने कहां शेष अर प्रभोणु हों | पंचमोा<ध्याय समाप्त बलनकपस्य््य ट््छ 4..स्शाणाणिााावचय पृष्मा:ध्यायार॑स चहदरव घोले इस “के एीलेनशंभा-कालातिया पृण्य तिथि: 'औरगक्षेणि)'केश्ाप्त: होनें :परत रार्जाभीम | 'र्वयंबर :सें. राजान्का घुलायां;-काम देवासे 'पीडिसी |' भार दूंमर्यती: क्यो ?चाहने- वाले सचरसजा ?उसूंगवाचन |! को सुनकर चीघ्र अधि,उषे शजा प्कनिका रतंभवाले | सुचिर वाहिंदार से शोमायमानररंघं: में वेश हुए, हां! संघ और सालाशों के घारण करने चाछे छर ज्चेल . डा घारी सच राजा लोग नाना कार के आसनों पर बैठ गये, जिसे प्रकार नागें। से भोगवती श्र या से सह की एस देखें उसी प्रकार उस पृविश्न सज सभा की परधीततमों से पथ देखा, उसे सभथ। पशचि की उपभां ! रखने-घाली रूप वंण से मनोहर श्र पुष्भ जा पां'वर्सिरइखने वास सप्रों की समान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now