महात्मा गांधी की वसीयत | Mahatma Gandhi Ki Vasiyat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बापू के बुनियादी सिद्धान्त ई
दान, परु बुधि, शक्ति प्रचंहा,
वर विज्ञान कठिन को दंडा॥
अमल भचल मन चोन समाना, `
४ सम्, जम, नियम, शिली मुख नाना॥
कवच मेद् विप्र गुर पूजा,
येहि, सम विज्ञय उपाय न॑ दूजा ॥
सखा धम॑मय अस रथ जके,
जीतन कट् न कतहूँ रिपु ताकें ॥
दोहा--महा अजय संघार रिपु, जीति सके सो चीर |
जाक्रे असरंथ होइ टद्, सुनहु सखा मतिधीर ॥
हम रामचन्द्र जी के इन शब्दों की ओर व्याख्या करना नहीं
चाहते, हम केवल इतना कहना चाहते दै कि इन्हीं हथियारों को
रामायन ने, इन्हीं को गीता ने, इन्हीं को महात्मा गांधी नेउप्त
राम रावन यां देव असुर संग्राम में जीतने का अमोध हथियार
माना हे जो संग्राम दुनिया में सदा होता रहता है. हमारी बाहर की
लड़ाइयाँ इसी अन्द्र की लड़ाई की छाया होती हें. इसलिये भिनर
हथियारों से अन्दर की लड़ाई जीती जा सकती है वह्दी असली
ओर सच्चे हथियार हैं ओर उन्हीं चे वादर की लडाई भी जीती
जा सकती हे | `
ज्ञिन अच्छाइयों को रामचन्द्र जी ने ऊपर शक्तियों के रूप में
गिनाया है, उनमें से कोई ऐसी नहीं जिसे हर आदमी अपने अन्दर
पैदा न कर सके, इन्हें अपने अन्दर पेदा करने का तरीक़ा उन पांच
सात त्रतों को पालना. और साधना है जिन्हें सब मज़हों को
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