सम्राट अकबर जीवनी | Samrat Akabar jeevani

Samrat Akabar  jeevani by पं. गुलजारीलाल चतुर्वेदी - Pt. Gulzarilal Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत का गौरव । टी कि नि पक १ हप्ा भर फल कल जय चिल्ला कि मोमांसा को है कि जिनको युरोप सत्नहवीं और अठारइवीं शताब्दी तक निणंय न कर सका था । भारतवष ने एक समय में गणित-शास्त्र को एऐसो उस्नति को थो कि उसे देख कर पायात्य गणितन्ञ लोगों के विस्मय को सोसा न रो थी । परिड़त-वर गोर्डस्टुकरके मत से. ईसा से नौ-दश शताब्दी पहले पार्णिनि ने जगत्‌ में सबसे प्रथम व्याकरण बनाया था । उसको तुलना का व याकरण प्रथ्वो मे दूसरा उत्पन्न नहीं किया । चिकित्सा-शास्त्र भी स्वे-प्रथम भारतमेंदो प्रयोत हुआ । चरक और सुखुत भारत के अतोत गौरव कौ घोषणा कर रहे हैं। अरब-निवासियों मे उनका अनुवाद करके अपने देशमें प्रचार किया । वहाँ से वह यूरोप में गया । सत्नहवीं शताब्दी. तक अरब को चिकित्सा-प्रणालो यरोपोय चिकित्सा को मूल थो। प्राचोन भारतवासो सु्दोंको चोर-फाड़ कर ज्ञान लाभ करते थे और अस्तं-चिकित्सा भो करते थे जिसके लिये व/् १२७ प्रकारके अस्त्र व्यवहार करते थे । डाकर रायलों ने लिखा है -- वास्तव में यश बड़ी विस्मयकर बात है कि उस समयके चिकित्सक सुर्दको पधरोकों काट कार बाहर निकालते थे यन्दों दारा पेटसे बच्च तकको निकालनेमें समध थे । सारतवासियोंनेडी सबसे. पहले रसायन-विद्याकों आलोचना आरस्भ को थो । डाक्टर रायलो कहते हैं कि ग्रे




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