वैशेषिक दर्शन | Vaesheshik Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेशेपिक दर्शन | ( ५)
रूप ससगंन्धस्पशा:संख्याः परिमाणानिप्रथक्-
ल॑ संयोगविभागों परलापरले बुद्धयः सुख
दुः्खे इच्छाद पो प्रयलाश्र गुणाःताक्षा .
झर्थ--रूप, रस, गन्ध, स्पशे, संख्या, परिमाण, पृथकर्त्व, रूयोग,
विभाग, परत्व अपसत्व, बुद्धि, खुख, दुःख, इच्छा,द्वप, प्रयत्न
शुर, वत्व, स्नेह, संस्कार, धमं ऋघर्म और शब्द । इनमें
भ्रयस्न तक १७ सन्न मेँ चत्तलभ्ये शथे है, शौर शेप ७ “च” से
घतलाये हें । ये चौवीस्त गुण नच द्रव्या मे रहते हं ! इनमेंसे
रूप, रस. गल्ध, स्पर्श संख्या 'परिमाण, पृथकृत्त्य..रूयोश,
वि गाग, पग्त्य, शपस्व, गुख्त्व और অবজ্ঞা ये विशेपतया
विख्यात श॒ण हैं ।
अश्न+-रूप क्िलकों कहते हैँ ?
उन्तर--जो शंख से 'दीखे उसको रूप कहते-हैं | वह काला, पीछा,
श्वेत और हश आदि नाना-प्कार का है।
प्रश्न--रस किसको कहते हैं।
उत्तर--जिस गुणका रसना इन्दरियसे श्रयुभव दो वद रस-है यथा-
खट्दा, मीठा और खाय आदि ।
प्रश्न--गन्ध किसको कहते दें ?
उत्तर--जिस शुण का नाक से अनुभव हो वहयुण गन्ध्र है। वह दो
। प्रकार का है १--झछुगन्ध और २--हुगंन्ध ।
इन--सुपर्श किस को कहते हें ?
उच्चर--जिस का त्वंचा फे द्वारा शुभद कियाजावे | परन्द स्पश
गर्म और सर्द से >ितान्त पृथक होता है । संयोग होनेपर
शीच उष्ण पतीत दोता है ক ৯
श्रथ्न~-संख्या किस को कहते हैं ?
उचष्तर--एक से लेकर अर्दों आदि ठक संख्या कहाती है ।
प्रश्च--शुरुत्व किस को दहहंते हे ?
उन्तर--जिस के कारण वस्तु भुमिपर शिरती.. हैं. वही गुरत्व-ह..
`. . आह शुरुत्प एूचिदी की आकर्षण शक्ति से .उत्पन्न- होता है।
:मिंवतक एक व्रस्तु-का दुसरी चस्तु के साथ खंबोस, ,रदता दें
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