सिकन्दरनामा | Sikandarnama

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Sikandarnama by लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सिकन्दर फिल्म देखने गये दर वभार सिवन्‍्दर फिल्‍म देवने भी चले जाते है, लेकिन फिल्म पन्या शकः उनकोजरा कमह । जव किमो तमवीरकी वहत तारीफ चुनते हैं ता जाते है, लेकिन जब फिल्म देखकर बाते हैं तो दो दिन तक তলা দিম মাহী जीर डायलॉगम खोये रहते है। पिछले साल इसी त नद রী না किम देख लाये और सुचहसे खिलाफ-मामूल चुप-से थे। हाँ, जात-जाते, ज्ञार दने-देते, बर्तन घोते-घोते, कभी-क्रमी हाथ रोककर मुंह- ममे दद्ध वदवुदात, कभी मुनकराते, कभौ अफमोससे मर हिलाते, गपो तराम र्म तरह हायको नचाते गोया जो कुछ भी हुआ उसकी थिम्मेगरी उनपर बिसी तरह नहा है बौर जैसे खुदासे कह रहे हो - জুল फिल्रे-जहों क्‍यों हो जहो तरा ह या मेरा? क मिरन्दररनामा १३




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