नागरिक शास्त्र का विवेचन | Nagrik Shastra Ka Vivechan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नागरिक शास्त्र, विस्तार और अन्य शास्त्रों से इसका सम्बन्ध ६ तो दमं १८६२ ई० से लेकर अब्च तक का इतिहास देखना होगा। इस प्रकार हम देखते ই कि प्रत्येक ऐतिहासिक घटना का प्रभाव हमारे सामाजिक जीवन पर पडता है| इतिहास से ही हमारे नागरिक शास्त्र कां निर्माण होता अथशास्त्र एक सामाजिक शास्त्र 6] वह समाज के उस अंग का वशणन करता है जिसका सम्बन्ध घन की उत्पत्ति तथा वित्तरण से नागरिक शास्र _है.1 धन कौ उत्पत्ति होती है, उसकी आवश्यकता तथा अथंशाख समाजको क्यों है, श्रोर उसका वितरण किस दंग पर होता हे--इत्यादि बातों का सम्रावेश श्रथंशास्त्र भें होता है। ऐसा कोई भी नागरिक न होगा जिसे घन की आवश्यकता न हो। मनुष्यों का एकत्र कर_ एक समाज में ढदालने का बहुत बडा श्रेय धन को ही यदि मनुष्य को इसकी आवश्यकता न हो तो वह साम्राजिक तथा राजनत्तिक नियमों को पालन करने से इनकार कर देगा | नागरिक शाघ्त्र इस बात के लिये नियम बनाता है कि नागरिक पर कौन कौन से टेक्‍्स लगाये जायें, और उन वसूल करने को क्‍या विधि हो । दोनों शास्त्र फूल और सुगन्ध की तरह एक दुसरे से मिले हुए हैं। यदि टैक्‍स न लगे तो समस्त सरकारी योजनायें बन्द दो जायें, फिर तो नागरिक का नाम भो शेप न रहेगा । घन की उत्पत्ति के साधन तथा इसके व्यय झा उचित मार्म अ्रथंशात्व के श्रन्दर पाया जाता ई} परन्तु इन दोनों को कार्य रूप में परि्णित करने का भार योग्य नागरिकों पर হু पड॒ता है | जब्र तक देश में कुशल नागरिक न होंगे तब तक वहाँ घनघान्य की द्धि नर्हा द्ये सकती | नागरिक शास्त्र सम्राज को सभा प्रकार से उन्नत बनाने का प्रयल करता ई। इमलिये वह आर्थिक प्रश्ना पर भौ विचार करता है | वहाँ पर दोनों शास्त्रों को जानकारी को आवश्यकता पड॒ती है | नागरिक को अपने कर्तव्य का पूरा ज्ञान तब तक न होगा जब तक उसे यह अवसर ন मिले कि वह श्रार्थिक दृष्टि मे स्वावलम्बी हो | राज्य में उसे समान अधिकार झर समान अवसर मिलना चाहिये | स्थायी सामाजिक शान्ति तच तकं स्थापित नदीं द्यो खकटी जव तक लोगों ऋ पास भोजन का अभाव रहेगा | वह समाज प्रसन्न नहीं रह सकता जिसमं गरीत्र दुखिय। को संख्या अधिक होगी । “गरीबी धर्म का नाश दे | धर्म से यहाँ तात्पय॑ नागरिक के कत्तंव्य से है। चुमुक्तित: कि न करोंति पापम्‌ । घन से समाज को सचो रखना शासक का पहिला कर्तव्य है । भारत किसानों का देश है। ग्राम शास्त्र के अन्तर्गत कृषि शास्त्र भी आता है | किसान अपनी सफाई कैसे रस्खे, खेती कैसे करे, सिंचाई की क्या व्यवस्था हो, उत्पन्न अ्रनाज के बेचने का क्या प्रबन्ध हो, इत्यादि बातों का सम्बन्ध नागरिक शास्त्र तथा अर्थशास्त्र दोनों से मं स्‌




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