सोवियत संघ में निरक्षरता को केसे खत्म किया गया | Soviyat Sangh Main Nirsharta Ko Kese Khatm Kiya Gaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# साक्षरता की पढ़ाई बेकार नहीं गयी थी!” इस भाति मोचं पर बालिगो के लिए षहलौ सोवियत वर्णमाला की पुस्तक नमूदार हुई यी । १६२० में वर्णमाला की एक और पुस्तक छपकर श्रायौ जिसका नाम था “निरक्षरता मुर्दावाद 1 इसे द० एल्किना, न० बोगुस्लाब्स्काया और आ० छुर्स्काया ने तेयार किया था। यह पुस्तक उन राजनीतिक नाते पर आधारित थी जो अ्रमजीवी जनता के निकट और उसे बहुत प्यारे थे, जँसे: हम गुलाम नहीं है। हम दुनिया में आज़ादी ला रहे हे। सज़दूर-किसान गठन्जोड़ अजेय है। कम्युनित्म हमारी फतह कौ मशाल है! लोगो को पढ़ना-लिखना सिखाने के अतिरिक्त इस प्रकार की वर्णमाला की पुस्तक मेहनतकशों का सोवियत सरकार की नीति से परिचय करातो थी और नये समाजवादी समाज के लिए किये जानेवाले संघर्ष की ओर उन्हे खीचती थो। * निरक्षरता मुर्दाबाद नाम की वर्णमाला की पुस्तक, जिसमें शिक्षा- रीति सम्बन्धी अनुत्रमणिका भी दी गयी थी, वड़ी लोकप्रिय सिद्ध हुई। शीघ्र ही एक वणेमाला कौ पुस्तक लाल फौज के सेनिको के लिए और दूसरी किसानो के लिए प्रकाशित की गयी। साथ ही ब्लादीमिर मयाकोन्स्की कौ ˆ सोवियत अक्षरमाला” नाम की पुस्तक भी थी जो पद्च में, तोखें राजनीतिक व्यंग के रूप में, खास तौर पर “लाल फौज के इस्तेमाल के लिए” लिखी गयी ची) उन कठिन वर्षों में सोवियत सरकार इस स्थिति में नहीं थी कि सभी विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें, कापियां और अन्य सामग्री जुदा पाये, इसलिए इनकी कमी को पुरा करने का कोई और ढंग निकालना ज़सरी था। मनिरक्षरता संघर्षकारियो के लिए नामक पुस्तिका में एक परिच्छेद था जिसका हीर्षक था: 'कागरच, निर्वो, स्याही रौर पे्चिलो के चिना कंसे कामं चलाया जाय ` 1 उत्तमे निम्नलिखित पराम्ञं दिया गया याः: “ क्ललिख- लगौ हांडी के दुक्डो पर स्ते के लम्बे नोकदार दुक्ड से लिखा जा 2--155 १७




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