जमाने की मांग | Jamane Ki Mang
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
59
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धीरेन्द्र मजूमदार - Dheerendra Majoomdar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शिक्षित युवकों से ज़माने की मांग
खादत दै) विदेशों में फंसी पूंजी की रक्षा के लिए सेनाएं रखनी पढती हैं ।
फिर युद्ध सामग्री के उद्यादन में सारी शक्ति छगानी पड़ती है। इठ
प्रकार फिर युद्धकालीन अर्थैन्व्यवस्था के नाम पर आधिक कर लिए जाते हैं।
खाने को कम दिया जाता है। रहने के मकानों को आओपेक्षा होती है।
शिक्षा को, कम कर दिया जाता है | सैनिक भर्ती अनिवार्य कर दी जाती है।
नए-नए फर्मान निकाले जाते ই। अन्वतः युद्ध' छिड्ड कर भीषण मानव
संदार होता है। उसमें मानवता के नामपर नवयुवक নম কী হীন হিয়া
जाता दै। अिसपर भी यह कहने की धृष्ठता की जाती है के यंत्र द्वारा चीजें
अधिक माता में मिलती हैं । इसके अछावा यंत्रमथ और वडे वडे उ्योगो कै
लिए दी जाने याछी सरकारी मान्यताएं, यातायात की सहूलियंतें, उनके लिए
होने वाले शास्त्रीय संशोधन इन सब यातों पर होनेयाले विशार खर्चो को तो गिना
ही नहीं जाता है। झुल्टे ग्राम उद्योर्गों के मार्ग में आनेवाली रुकायर्टे, *
उल्झनें, बाधाएं, उपेक्षा का कोई खयाल नहीं ,किया जाता। इसी
तरह पूंजीवाद, केन्द्रीय उद्योगों की अन्तरयष्टीय “स्पर्धा, युद्ध, मानव
संहर और पुनः इनसे होने वाली श्षत्ति की पूर्ति के लिए यन्त्रकिरण ऐसा
शनीश्वर का फेरा ! यह कुचक्र अर्खड घूमता रहता है। यह तो उस राक्षस
जैसा है जिसको यदि काम न दो तो वह काम देने वाले को दी खा जायगा। ऐसी
दशा में एक्क छकडी गांडकर अुसे चढ़ने-उतरने का काम देना आवश्यक दो.
जाता है। आज भी दुनिया उसी लड़ाई के खतेरे में है। अतः हमारी
योजना में इस स्थिति को देखकर द्वी आप कहेंगे कि अब तो शान्ति है।
यह गलत धारणा है आपकी ! , किन्तु यह समय शान्ति का नहीं
विभ्रान्ति का है। खेल का “इन्टरवल? है। दो संघर्पों के बाँच का विराम
ই) অর্থী आगे की तैयारी की जाती है और पिछली यक्ताबट के रेपु कुछ
आराम किया जाता दै । आप चदि जित ओर निगाद डालिए बिन, चीन,
यूनान, सुमोस्कावेकिया, फिडस्तीन, 'गरकिस्तान, काओ्मौर, हैदराबाद, वरमा,
मलाया, इन्डोनेशिया सब जगह हुतीय महायुद्ध की वारूद रखी जा रही है।
বাই लगाने भर की देर है, आग मडक उठेगी । कहा जाता है के कास्मीर,
द्ैदराबाद या प्राकिस्तान का हमपर अधोषित द्ध दै) दैदवाद, कारमीर
बारह .
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