राजस्थानी मील गीत भाग २ | Rajasthani Bheel Geet Bhag-2

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Rajasthani Bheel Geet Bhag-2 by गिरिधारी लाल शर्मा -giridhari lal sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) अपने जोड़ीदारों ( साथियों ) सहित | सवारी के ऊँटों पर- (बैठकर) जल्दी आना । ( ढोलाजी ) ऊँट मंगवाते हैं- ( ढोलाजी ) ऊँटों के चरवाहे को बुल्लाते हैं । ( ढोलाजी आज्ञा देते हैं ) पत्र वाहक ( चपरासी ) भेजो ! देश-विदेशों में ( जाओ ) अँटों के चरवाहों और ऊँटों को खोजो ! दौड़ता हुआ जाता है, दौड़ता हुआ वापस आता हे । चरवाहे भी दौड़ते हैं ( और ) উন लेकर आते हैं । निश्चित्‌ स्थान पर आज़ाते हैं ( और ऊँटो को ) राजा के आंगयण में बांधते हैं । ढोलाजी के ससी साथी समान शोभित हैं । घड़ी भर की भी देर नहीं है। स्वणिम श्रभात में, ऊँटों को संगवाओ ! ( उन पर ) काठियां कसाओ। सभी समान वन कर, गौना लेने जाते हैं । पिगलगद्‌ के राज्य में जाते हैं, নান ( लगाम ) दीली छोड़ देते हैं, पगड़ी सजबूत बांधते हैं, तेज चाबुक मारते हैं, ( और ) लम्बे साग पर ज्ञाते हैं ।




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