भारतवर्ष का इतिहास | Bharat-varsh Ka Itihas

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Bharat-varsh Ka Itihas by पं. भगवद्दत्त - Pt. Bhagavadatta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय इतिहास के स्रोत द रामायण के विषय में है। उसमें बताया गया है कि महददाभारत अन्तगंत आरण्यक पबंस्थ ललो- फाख्यान के अनेक न्छोक वाव्मीकीय रामायण खुन्द्रकाण्ड के न्छोकों की प्रतिलिपि मात्र हैं । दूखरा लेख आरण्यक पर्वान्तगेत रामोपाख्यान का मूल रामायण को वतलाता है । लेखक ने ऐसे ६ वचन दिए हैं जो मद्दाभारत में रामायण से लिए गए है। इन लेखों से सबंधा स्पष्ट है कि कृष्णड्वेपायन व्यास जो निश्चय ही आरण्यकपवे का भी कर्ता था वाद्मीकि का ऋणी है । प्रसिद्ध कवि राजदोखर इस परम्परागत सत्य को जानता था कि व्यास ने वाव्मीकि का अध्ययन किया है । ः महाभारत बनपवे १४९। ११ ॥ में रामायण नाम भी स्पष्ट रूप से मिढता है । रामायण युद्धकाण्ड ८१ | २८ ॥ ग्छोक महाभारत द्रोणपवे अध्याय १४३ में मिलता है-- अपि चाय पुरा गीत नस्छोको वाट्मीकिना भुवि । न हन्तव्या. स्त्रिय इति यदून्नवीषि प्लबंगम 0८५॥ पाराशये व्यास के लिए राम रावण युद्ध पुराकाल का एक दृष्टान्त हो चुका था-- याद हि पुरादत्तं रामरावणयोख्ेधे । ्रोणपवे ६९ । २८ ॥| इस से ज्ञात होता है कि कृप्णद्वेपायन व्यास से चहुत पूवे अथवा बतेमान ब्राह्मण अन्थों से वहुत पहले भागव वाल्मीकि ने रामायण रची थी । रामायण के उत्तर काण्ड की कथा का मूल भी बहुत पुराना है। मेथिली-निर्वासन और रामपुत्रों का वाद्मीकि द्वारा पाठन अदवघोष को ज्ञात था । भारतीय इतिहास का तीसरा ख्रोत--महाभारत महदामुनि छृष्णद्रेपायन व्यास की यह रचना भारतीय इतिहास का एक अनुपम ग्रन्थ है । इसका साहित्यिक मूव्य कुछ थोड़ा नहीं । इसकी खुन्दर पदावली इसकी वहुविध ज्ञान- गरिमा इसमें वर्णित घटनाओं की सरसता और इसकी ऐतिहासिक तथ्यो से परिपूर्णता आदि कं ऐसी बातें हैं जो इस श्रन्थ को हमारी असीम श्रद्धा का पात्र बना देती है । कमी इस देश में १ ै. ४० 1णपाट ए एघड/टदा 800 1012० 50प्रताटड का फ0प्०पा 0 ए04 ह ४४ 11०085 ए8४८५ 294 --305 २ #ै भ#णफ््ण८ 0 5प्ाताध्ड जा उुछत0190# फट5८प्रश्ट6 0 एार्णज ? ४. ूधप८ ए०००8 1941--शफाट 5घ001९5 पुफुद हिछफा४ छिफ़ाइ006 800 फट एडाणकफ्रा09 ए०टथ दा 2-87 ३. प्रचण्डपाण्डव अडू १ विष्कमक । _४. रामायणे5तिविख्यात श्रीमान्वानरपुड्ूव ॥ ५ सौन्द्रनन्द ११२६ ॥




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