वैदिक रहस्य द्वितीय भाग | Vaedik Rahsya Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
65
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शिवशंकर शर्मा - Shivshankar Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)টা गाना হ্যা को स [নি
उंपलयाध्द जुमनसयथाना शा था गच्जात
ना ০৮০৫১
प्रतुदा दासः || अख? | ७।३३। १४॥
यक्ता नाम सत्र है । अथवा जो सत्य यज्ञ हे वही सत्र
हैं। सम्पूण प्रजाओं के हितसाधक उपायों के बनाने के
“302
लिये जो आजुघान हैं वही महासन्न है। कुम्भू-वासतीवर
लश अत सुन्दर उत्तम २ जो सते क ज्राम नगर हैं
वही यहां छुम्म हैं । जेसे कुम्भ में जल स्थिर रहता है
पने पर मनुष्य स्थिर होजाता है। अतः
इस कुण्ध का नाप वासतीवर रखा है |
भान--याननीय | जिसका सम्पात सब कोई करे। मापने-
हारा, परीक्षक इत्यादि | अथ मन्त्राथ--(सज्चै +ह+जातौ)
यह मसिद्ध बात है कि ज़ब वहत सम्मति से सत्र में दीक्षित
= ७, अ,
तिह और (नमामि; + इपिता) सत्कार से जव अभिल्ापिद
মদ „4.4
~ प
User Reviews
No Reviews | Add Yours...