इश्वर विचार प्रथम भाग | Ishwar Vichar Volume-i
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
326
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९.१५ 9
' कहां जाथाके मरतिप्ान हेसे कहा. जायग। आया
:बह््त -सैयोग, पे. वमी. या न लस्वरूपहे अर्थात
पादयवह या. पचूरावयर थाई कहा जाय. पावयव
আমান अतर् वलुदा पे उमलऊकर बल हती बह मरने
गायक মাহা अवी।हका वाह द पका. यह
४ अर हा दी बात वंक हे ते. अनश्यमंत्र बह वत् भर्तों
का का ये होगा. जग कयव हो किपी काल में
“फरण से. उतरने. हुआ होगा झोर अपनी उमर
स पूष काडर नह हाई प्रत्यक्ष [सिद्ध होक़े
जो.उस्न्नहुया वहे बाश-भों अवश्य हांगा और
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সরল
सर्वि देतो दारद्य. सरूता-कयाङ्षि यमोतिक परि
৬১৫৭.
' में हृष्टान्तका अभाव है और प्रत्यक्ष का विरोशा
' 'हीगे-से, इसमें. अधुमान भा नहा हा सकता क्योंकि
দান अत्यक्ष पक हाताह जार डाब्द प्रमाण
«भी नहीं. हो सकता से. ऐ-यादि कहें कि नि वर्यर
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