तात्या टोपे | Taatyaa Tope

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इंदुमती शेवड़े - Indumati Shevde

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सुन्दरलाल - Sundarlal

भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के  साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।

26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।

मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भावी तूफान 11 देते हैं उस पर जो कुछ भी पैदा होता है उसे कर के रूप में दे देते है जुआ खेलते है प्रोपोगंडा करते हैं तू-तु मैं-मैं करते है गिरते हुए मंदिरों में बैठकर पुजा करने है प्रायः गंदे तालाबों में नहाते-घोते है और अद्ध॑-शद्ध पानी पीते है । दोनों के बीच की यह खाई बिलकुल निश्चित है । उद्दंड विदेशी इस खाई को कभी भी पाटा नहीं जा सका । अंग्रेज अपनी प्रजा के लिए विदेशी ही वने रहे मुगलों की तरह उनमे घुले मिले नहीं । विदेशी शासन-सत्ता सदा नापसंद किया जात है और विशेष रूप से तब जब कि शासक बहुत ही हैकड़- वाज और निरंकुश हो जैसा कि उस समय अंग्रेज शासक थे । और ऐसे दासन को तो समाप्त किया ही जाना था | कितु उददंड विदेशी यह नहीं समझ पाए कि देश में अगांति फल रही थी । इस प्रकार बिना विचारे किए जाने वाले काम प्रगति प्रदासतिक सुधार रेल का भय सभी का वोझ भारतीयों को बहुत दवा रहा था । राजकुमार अपना राज्य छिन जाने की छाया में जी रहें थे भर स्वामी अपने हुक की खोज वीन से परेशान थे सैनिकों को अपनी जाति पर हमला होते की आशंका बनी रहती थी । किंतु सरकार ऐसा प्रतीत होता था कि भगवान वी इच्छा पर चल रही हो और वे भगवान भी जो विदेशी हों । यह तब तक होता रहा जब तक कि विद्रोह पूरी तरह प्रारंभ न हो गया । कुछ विवेको व्यक्ति इतना होने पर भी शासकों में कुछ ऐसे विवेकी व्यक्ति थे जो भावी तुफान के संकेत देख सके और उन्होंने ऐसा तुफान आने की भविष्यवाणी भी की । हैनरी लारेंस ने यह कहा कि सबसे पहले सेनाएं मंग करनी होंगी जब कि इवान्स वेल्स जसे लोगों ने यह चेतावनी दी कि लाडें डलहौजी के उच्च स्तरीय प्रज्ञासनिक तरीकों में आवइ्यक परिवतंन अपेक्षित है । कनेल चेस्टर ने 13 अप्रैल को मेजर जनरल हियरये को लिखा था कि शिमला की ऊंचाई पर बैठकर ऐसा प्रतीत होता था मानों कारतुसों की वजह से होने वाला विद्रोह समाप्त हो रहा था और सारा खतरा खत्म हो गया था । और ऐसा ही विचार उन सब का था जो शिमला में हुए स्टाफ की बैठक में सम्मिलित हुए थे । कितु कंप्टन मार्टिनियों ने जो अम्बाला में बंदूकचियों के दस्ते के कमां- डर थे कैप्टन एस एच बीचर को जो कनेंल चेस्टर के नेक्स्ट-इन कमांडर थे पांच मई के पत्र में कुछ दूसरी बातें ही लिखी । इस पत्र में सिपाहियों की मान- 1 रसेल वही पृष्ठ 29-30




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