1433 प्राक्रतिकी (1928) | 1433 Prakrtiki (1928)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
412
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्ञानिक का स्वप्न নত
के अनुसार हसका रझुपानतर नहीं हाता चाहिए, परन्तु इसमे
से इतने इलेक्ट्रनां का निरन्तर निल्॥रतना পাব उनक संयोग से
देनियम ( [[पप्पण ) नामक नवीन धातु पा उत्पन्न दानां
देखकर रेडियम का परिवत्तनशीस सूलपदार्भ मानला पटुता हं ।
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नहीं हुए। उन्होंने पूर्वोक्त यूरेनियम नामक भारी धातु की
परीक्षा करके देखा कि खान के जिस अंश में यह मिलती है
उसके चारों श्रोर रेडियम पाई जाती हैं। पहले यह संयोग
मात्र जाने पडता धा, परन्तु श्रव सिद्ध दो गया है कि जहाँ
यूरेनियम हयी वहा उसके चारे छ्रार रेडियम श्रवश्य मिलेगी ।
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