मालाकार | Malakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)পা
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হি রি পট
লাই कक
शुभ्र न्नर
श्रों माँ, श्राज राजकुमार का रथ हमारी कुटी के
सन््मुख पथ पर आने वाला है। प्राज प्रभात मे गृहकाज कंसे
होगा भला ?
माँ, बता तो, आज कौनसा सिगार करूँ ? किस फूल
कौ वेणी बाँध और किस रग के कपडे पहन ?
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রঃ माँ, तुझे क्या हो गया ? तू मेरी ओर ऐसे ग्रचरज से
१ 1 ग्रांख फाड़-फाडकर क्यो देखती है ?
(| 4 ৬. ৬ गेऊँगी
मा, मे जानती हूं जिस वातायन पर खडी होगी,
उस ओर वह एक बार भी श्रख उठाकर नही देखेगा । मे
২২৮৩৪
| ५ जानती हूं एक निमेषमे ही वह् भ्रोफल हो जायगा और
| दूर, बहुत दूर, चला जायगा । ,
1 केवल उसकी वशी, न जाने किस को लक्ष्य कर, व्याकुल
9 स्वर मे बजती रहेगी ।
गाए, फिर भी माँ हमारे घर के सन
(त / आज राजकुमार हमारे घर के सन्मुख
न वाले पथ पर आयेगा । उस निमेष-भर के दर्शन के लिए
भी से सुन्दर वेश क्यो न पहन् माँ !
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५. শ
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श्रो माँ, राजकुमार हमारे घर के सन्मुख पथ पर श्राकर
चला गया । उसके स्वर्ण शिखर छूकर प्रभाती किरणे
सिलसिला रही थी ।
धू घट खोलकर वातायन से भने उसे निमेप-भर देखा,
রা ग्रपना कण्ठहार् उतारकर उसकी पथ-धूलि पर विखेर
या)
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