मालाकार | Malakar

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Malakar by श्री गोपीनाथ सेठ

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পা = 42 ই ২০৯ ` ৯ হি রি পট লাই कक शुभ्र न्नर श्रों माँ, श्राज राजकुमार का रथ हमारी कुटी के सन्‍्मुख पथ पर आने वाला है। प्राज प्रभात मे गृहकाज कंसे होगा भला ? माँ, बता तो, आज कौनसा सिगार करूँ ? किस फूल कौ वेणी बाँध और किस रग के कपडे पहन ? ২২২২ ১4০52 == >= ক্লু লহ (7५ 22 ২২ (२) = রঃ माँ, तुझे क्या हो गया ? तू मेरी ओर ऐसे ग्रचरज से १ 1 ग्रांख फाड़-फाडकर क्यो देखती है ? (| 4 ৬. ৬ गेऊँगी मा, मे जानती हूं जिस वातायन पर खडी होगी, उस ओर वह एक बार भी श्रख उठाकर नही देखेगा । मे ২২৮৩৪ | ५ जानती हूं एक निमेषमे ही वह्‌ भ्रोफल हो जायगा और | दूर, बहुत दूर, चला जायगा । , 1 केवल उसकी वशी, न जाने किस को लक्ष्य कर, व्याकुल 9 स्वर मे बजती रहेगी । गाए, फिर भी माँ हमारे घर के सन (त / आज राजकुमार हमारे घर के सन्मुख न वाले पथ पर आयेगा । उस निमेष-भर के दर्शन के लिए भी से सुन्दर वेश क्यो न पहन्‌ माँ ! * ৮ ~अ পট শু ~ २ १ ৬ ५. শ ~ श्रो माँ, राजकुमार हमारे घर के सन्मुख पथ पर श्राकर चला गया । उसके स्वर्ण शिखर छूकर प्रभाती किरणे सिलसिला रही थी । धू घट खोलकर वातायन से भने उसे निमेप-भर देखा, রা ग्रपना कण्ठहार्‌ उतारकर उसकी पथ-धूलि पर विखेर या)




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