भारत में अंगरेज़ी राज | Bharat Mein Angregi Raj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
716
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
प्रेम और परिश्रम के साथ बाबू भ्रमूल्यचरश विद्याभूषण ने मेरी
सहायता की उसके लिये कृतक्षता प्रकट कर सकना मेरे लिये
श्रसम्भव है। वयोवुद्ध मिस्टर एफ हैरिज्वटन पएफ० आर० प० एस०
का भी में विशेष कृतज् हूँ कि उन्होंने विक्टोरिया मेमोरियल के
चित्रों के फोटो लेने में मुझे हर तरह की सुविधा प्रदान की ।
श्राशा है कि यह नम्न प्रयल कुछ देशवासियों को श्रपने देश की
शोचनीय स्थिति तथा उसके वास्तविक उपायों पर गम्भीरता के
साथ विचार करने मं सहायक होगा ।
इलाहाबाद )
फ़रवरी १६२४ ) सुन्दरलाल
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