कसाय पाहुडं | Kasaya Pahudam

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Kasaya Pahudam by कैलाशचन्द्र - Kailashchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) विपय प्र उच्चारणाके अनुसार उच्छृ सननिकरपं ४-५-६४ जघन्य सन्निकपं ४६४-५२४ मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिका आलम्बन लैकर सन्नि प्य विचार ४६४ হান प्रकतियोँकी जघन्य स्थितिका आलम्बन लेकर सन्निकर्प विचार ४६५ उन्चारणाकर अनुसार जघन्य सन्निकय ६५-५२४ विपय प्रघ नरकगतिमे सव प्रकरतियाके अस्प- बहुत्व का विचार ५२६-५२७ उद्चारणाक्े अनुसार उत्कृष्ट स्थिति अल्पबटुत्य ५२८-५३० उचारणाकं अनुसार जघन्य स्थिति अल्पवहुत्व ४2२०-५४ ४२ उच्चारणाके अनुसार वनन्‍्धक कालकी अव्यवहुन्ध ५२५४-४४४ अपेक्षा संद्रष्टि सहित सब स्थिति अन्पबहुत्य ४२४-४ ४२ प्रक्तियोंके अल्पवहुत्वका निर्देश ३३१-१३२ उल स्थिति अन्पवहुत्य ५२४-५२० | चिरन्तन व्याख्यानाचायक्रे द्वारा नो नोकशाय ५२४-५०५ |... निर्दिष्ट अल्पचहुत्व ४३२-४३३ सालह कपाय ५२५ ¦ दानां अन्प्रवहूत्वोमे मतभेदका सम्यग्मिभ्यात्व ५२५ उल्लस ५३६ লজ ५२५-५२६ | निर्यव्रगनिमे रक्त दानां अस्प चूर्णीसृत्र ओर उच्चारणाका आलग्वन । व्हुल्योकी अयश्चा पुनः विचार ५३५ लकर कालप्रधान और निपेकप्रवान | जीव प्रत्पवदुतव ५४२-५ ४४ स्थितिका उदाहरण सहित निर्देश ५२५-१२६ । उच्छ्र जीव अल्पवहुत्व ५५.५४३ भिध्यात्व ५२६ जनन्य जीव अल्पवहत्त ५१४२-५ शुद्धि ১ ५ के मूलकी ५ वरी पक्ति इस परक प्रथम पंक्ति हैं। সাতে ৪০




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