बुद्ध पूर्व का भारतीय इतिहास भारत का इतिहास भाग १ | Budh Purav Ka Bhartiya Itihas Bharat Ka Itihas Part -i

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Book Image : बुद्ध पूर्व का भारतीय इतिहास भारत का इतिहास भाग १  - Budh Purav Ka Bhartiya Itihas Bharat Ka Itihas Part -i

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूगोल एवं अस्य जानने योग्य बातें ध्‌ बर्फीले ठडे पानी को उत्तर की शोर न लाने देकर उत्तर का जलवायु ताहश ढंढा नहीं होने देती । हिमाचल श्रौर दक्षिणी भारत के बीच में फिर भी समुद्र भरा रहा किन्तु यह ऐ्रथ्वी थी धीरे धीरे उठती गई तथा सिन्घु गंगा जमुना न्नह्मपुत्रा घाघरा श्रादि नदियों द्वारा लाई हुई मिट्टी यहाँ जमती गई यहाँ तक कि समुद्र बंगाल की खाड़ी तक ढकेल दिया गया और पूरा देश बनकर तैयार हो गया। गगा जी के मुद्दाने पर सुन्दरबन के पास शव भी नई भूमि निकलती ाती है । एक समय वह था कि मध्य यूरोप तथा मध्य एशिया में भारी समुद्र लहराता था । घोरे धीरे वहाँ की भी भूमि उठकर जर्मनी झादि देश बन यये । इसी समुद्र के विषय मे छाया समान कुछ कुछ कथन प्राचीन प्रथो में। पाये जाते हैं । भारत में तीन ऋतु प्रधान हैं झर्था्त्‌ जाडा गर्मी और बरसात | कार्तिक से श्राधे फाल्युन तक जादा समसा जाता है चैत्र से श्माषाढ़ तक गर्मी श्र श्रावण से क्वार तक वर्षा । मुख्य वर्साती महीने सावन भादों हैं । माघ में भी प्राय १५ दिन वर्सात होती है । भारतवर्ष में कितन ही देशी तथा विदेशी संवतत थोड़े या ब्रहुत प्रचलित हैं । दिशेषत दिक्रमी सदत्त्‌ू सन्‌ इंस्दी एव शालिवाइन शाके का अधिक प्रचार है । धसे काये सकल्पादि में सृष्टि सबत्‌ का वाला दिया जाता है । भूमि सम्बन्धी हिसाप के कागज़ों में फ्सली सबत्‌ पूव भारत में प्राय लिखा जाता है । दिक्रम-संबत्‌ चांद्र दर है और शक सवत्‌ सौर । झधिकाश भारतनिवामी हिन्दू हैं जिन मतानुसार द्वारिका बद्रीनाथ जरान्नाथ छोर सेतुबन्ध रामेश्दर चारों दिशाष्यों में चार धाम हैं तथा झयोध्या मथुरा हरिद्वार काशी काची उष्जैन श्ौर द्वारका सप् पुरियों में हैं । ये द्शो स्थान परम पवित्र माने जाते हैं । भारत में १९ ज्योतिलिट्ट परम पदिय्र हैं। इनमें दिश्वनाथ घृप्णश्वर बद्रीनाथ घदारनाथ बेयनाथ छीनाथ महाकालेश्वर सामनाथ मल्लिकाजुन घयम्बवेवर छोकारेश्दर तथा रामेश्दर की गणना है । दान्य में पूर्बी देशों मे दावल की प्रधानता हैं। शेष भारत में धनी पुरुष विशेषठया गेहूँ का व्यदहार करने हैं और साधारण लोग जौ जुदार चना दाजरा यदि का । अधिकांश लोग सांस नहीं य्वाते ।




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