औबर्ज की रात | Auburge Ki Raat

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Auburge Ki Raat by मालीराम शर्मा - Maliram Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ जचती हो खूब सजती हो खूब दुलहिन सी तेरे सुनहले वाल ये सोने के बाल तर रह है झूम रहे है भूल रहे है तेरे कथा पर यह भूमता यौवन यह पुकारता यौवन यह्‌ लतकारता यौवन जगा देता है জীন की हसरत देखते हो, यह निनोलाइट 1 यह सारा नमा, रगीनं छत, নই উঃ লাম, তুল ম भ्रीज म, सबके पास बात एक, थीम एक तरीका एक मक्सद एक 1” हा, मैं दुलहिन हर याम की दुलहिन शाम के साथ सुहाग आता सुवह्‌ वे माय दुहाग गाता झाम के साथ प्यार जाता शाम के साथ यार जाता शाम के साथ, प्यार म ज्वार जाता युबह के साथ उतार आता शाम है, जाम है शाम है चराब है হাস ই শনান ই ओऔवज की रात




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