प्राचीन भारत | Prachin Bharat
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सामग्रियाँ
হাহ पुस्तक प्राचीन भारत के राजनीतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास की पुस्तक है। इतिहास
एक ऐसा शब्द है जो प्रतिदिन प्रयोग में आता है और इसकी परिभाषा विभिन्न प्रकार
से की जाती है। एक तरफ़ हमे इतिहास के बारे म॑ नेपोलियन की यह व्याख्या मिलती है कि
“ इतिहास सर्वसम्मत कपोल-कल्पना के अतिरिक्त और कुछ नहीं है ` तो दूसरी ओर एच.
जी. वेल्स की यह व्याख्या मिलती है कि मानव इतिहास सारतः विचारों का इतिहास है। ”
प्राचीन भारत का इतिहास भारतीय जनता का उस समय का इतिहास है जब्र वह अपने निर्माण
की अवस्था में थी और इस लोक म॑ तथा परलोक म॑ सुख प्राप्त करने के लिए संघर्षरत थी।
यह लम्बा संघर्ष ६,००० वर्षों से भी अधिक समय तक जारी रहा जिसमें वेमव की भी घड़िया
आयीं और सर्वनाश तथा पराभव की भी। मूलतः यह अनेक द्वारा एक की खोज की कहानी
है; यह खोज विचारों के क्षेत्र में भी होती रही और राष्ट्रीय जीवन के क्षेत्र में भी।
मनुष्य के इस मह्वपूणे प्रयास का कर्मभूमि यह् विशाल भूखंड था ओर दस भूखंड न
इस प्रयास के स्वरूप पर कभी अधिक ओर कमी कम मात्रा मे नियामक प्रभाव डाला । विशाल
पर्वतमालाओं ओर नदियों की भूमिका प्राचीन भारत के इतिहास के निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण
रही है। हिमालय का गुणगान प्राचीन भारतीय साहित्य मं हिम ओर शांति के निवास-स्थान
के रूप में किया गया हे। इन स्चनाओं म॑ इस बात का भी संकेत मिलता है कि इन पर्वत-
मालाओं से उस भूभाग को, जो दालू होता हुआ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी तक
चला गया था, पार्थक्य और संरक्षण भी प्राम हुआ। यह पर्वतमाला ही गंगा और सिंधु जैसी
नदियों के लिए जल का सोत भी थी, जिनके बिना उन कोटिसंख्यक लोगों का जीवन
असंभव हो जाता जो कई शताब्दियों के दौरान में इस देश में पलते-बढ़ते रहे और जो अपनी
कृतज्ञतापूणे श्रद्धा मं इन नदियों को “माता ` कहते थे। इसके अतिरिक्त विभ्याचल पर्वत
हैं जो बहुत समय तक उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन-रेखा बने रहे। इन भौगोलिक
तक्त्वों ने भारत के इतिहास पर बहुत गहरा प्रभाव डाला और भारतीय राष्ट्र के इतिहास का
अध्ययन करते समय इन तत्त्वों को ध्यान में रखना हमारे लिए आवश्यक है।
चूँकि इतिहास उन बातों का बृत्तांत होता है जो भूतकाल में हुई हों इसलिए. मूलतः
महत्त्वपूर्ण तथ्यों को चुनकर अतीत का पुनर्निमाण करने को ही इतिहास कहते ह । ये महत्व पूणे
तथ्य हमारे लिए कई रूपों में सुरक्षित हैं जिन्हें हम इतिहास की सामग्री कहते हैं।
यह हमारे लिए उपयोगी होगा कि हम आरंभ में ही इस बात पर विचार कर लें कि हमें
किस प्रकार की सामग्री का उपयोग करना है।
रे
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