हिंदी गद्य | Hindi Gadhya

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Hindi Gadhya by रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ११ में श्रपने स्कूल के लिये बनाई । फोटे विलियम कालेज की पाठ्य- पुस्तकें इनके पहले स सिने श्रा गई थीं परंतु ने साहित्यिक पुस्तकें थीं । यादरियों की आागरे वाली शास्त्रा ने मिन्न-भिन्न विपयों पर भी पाठ्य पुस्तकें लिखाई इसी समय युक्त प्रास्तीय सरकार ने श्रपने माइ्मरी स्कूलों में हिदी का चलन किया श्ौर स्त्रतंत्र रूप से पास्य-पस्तकं लिस्वी जाने लगी | प्रांत मर में पास्यनप्स्तकों के घ्काशन के कई केन्द्र हो गए ब्पौर धन के लोभ से अनेक शन्ले लेखकों की शक्तियाँ घर जाने लगीं | रन पाख्य पुस्तकों का सहत्व इतना ही है कि इन्होंने हिन्दी गधा प्रचार में सहायता दी और पहली बार थिधपष की बिभिक्नता की ओर त्यान आकर्षित क्रिया | परत मखसे श्रधिक हिंदी गद्य का प्रयोग छर विकास घर्म-प्रचार द्वार हुश्रा | डैसाइयों का भर्मेप्रचार हिंदी साध्यम प्वारा हो रहा था । इसकी प्रतिक्रिया-स्थरूप तीन शक्तियाँ ज्रे्न में श्रार् । वे थीं ब्रहमाससाज शगाये- समाज शरीर संमातन हिंद धर्म । समसे पहले घ्रह्ममसाज का श्भ्युदर्य हृथ्रा । यह एक सुधार श्रान्दोलन था जो वैदिक दैश्वरवाद श्र शऔपनेपदिक सत्य को महत्व देता था । सन १८१६ ३० में राजाराम मोहनराय से वेदांत सूत्रों का हिंदी श्रनुवाद किया । मघार संघरी श्रामेक पुस्तकें उन्होंने लिखीं । इन्होंसे ही सना १८२४ है० में बेगदूत माम का हिंदी समाचार पत्र निकाला श्लौर इस तरह हिंदी गद्य प्रववार से एक नई शक्ति फा झाविभाव किया । लगभग ्ाधी शताब्दी तक ब्रह्मसमाज ने हिंदी गद्य को सहायता दं। पंजाब के सवीसचेद से श्रसेक पाय्य-पुस्तकें शोर धर्म पुस्तकों लिखकर उप के गढ़ में हिंदी का प्रवेश कराया | ब्रह्मसमाज ध्यान्दोलन मुख्यतः पूर्वी भारत का श्रान्दोलन था यह आन्दोलन यहीं पहले उठा इसलिए कि इंसाइयों का प्रहार पूर्व प्रदेश पर ही पहले दुश्रा । पश्चिमी प्रदेश में ईसाइयों के विरुद्ध




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