हिंदी गद्य | Hindi Gadhya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.01 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ११ में श्रपने स्कूल के लिये बनाई । फोटे विलियम कालेज की पाठ्य- पुस्तकें इनके पहले स सिने श्रा गई थीं परंतु ने साहित्यिक पुस्तकें थीं । यादरियों की आागरे वाली शास्त्रा ने मिन्न-भिन्न विपयों पर भी पाठ्य पुस्तकें लिखाई इसी समय युक्त प्रास्तीय सरकार ने श्रपने माइ्मरी स्कूलों में हिदी का चलन किया श्ौर स्त्रतंत्र रूप से पास्य-पस्तकं लिस्वी जाने लगी | प्रांत मर में पास्यनप्स्तकों के घ्काशन के कई केन्द्र हो गए ब्पौर धन के लोभ से अनेक शन्ले लेखकों की शक्तियाँ घर जाने लगीं | रन पाख्य पुस्तकों का सहत्व इतना ही है कि इन्होंने हिन्दी गधा प्रचार में सहायता दी और पहली बार थिधपष की बिभिक्नता की ओर त्यान आकर्षित क्रिया | परत मखसे श्रधिक हिंदी गद्य का प्रयोग छर विकास घर्म-प्रचार द्वार हुश्रा | डैसाइयों का भर्मेप्रचार हिंदी साध्यम प्वारा हो रहा था । इसकी प्रतिक्रिया-स्थरूप तीन शक्तियाँ ज्रे्न में श्रार् । वे थीं ब्रहमाससाज शगाये- समाज शरीर संमातन हिंद धर्म । समसे पहले घ्रह्ममसाज का श्भ्युदर्य हृथ्रा । यह एक सुधार श्रान्दोलन था जो वैदिक दैश्वरवाद श्र शऔपनेपदिक सत्य को महत्व देता था । सन १८१६ ३० में राजाराम मोहनराय से वेदांत सूत्रों का हिंदी श्रनुवाद किया । मघार संघरी श्रामेक पुस्तकें उन्होंने लिखीं । इन्होंसे ही सना १८२४ है० में बेगदूत माम का हिंदी समाचार पत्र निकाला श्लौर इस तरह हिंदी गद्य प्रववार से एक नई शक्ति फा झाविभाव किया । लगभग ्ाधी शताब्दी तक ब्रह्मसमाज ने हिंदी गद्य को सहायता दं। पंजाब के सवीसचेद से श्रसेक पाय्य-पुस्तकें शोर धर्म पुस्तकों लिखकर उप के गढ़ में हिंदी का प्रवेश कराया | ब्रह्मसमाज ध्यान्दोलन मुख्यतः पूर्वी भारत का श्रान्दोलन था यह आन्दोलन यहीं पहले उठा इसलिए कि इंसाइयों का प्रहार पूर्व प्रदेश पर ही पहले दुश्रा । पश्चिमी प्रदेश में ईसाइयों के विरुद्ध
User Reviews
No Reviews | Add Yours...