शासन समुद्र - भाग 5 | Shasan-Samudra Part-5
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंगल-स्तुति
लय-पल पल वीती जाए--- ““
मगलमय मंगल-कृति में, सौलह सतियो को याद करूं २।
गरुण सुमन चयन कर स्मृति मे, नस-नस में रस आल्हाद भरूं २ ।धुव॥
हे ब्राह्मी ओौर सुंदरी दोनों, कन्या अकन-कुमारी ।
हे शिक्षाथिनी वनी फिर खोली, संयम रस की क्यारी ॥मं.१॥
हे दमयंती ने विपदा-क्षण में, पति का साथ किया है।
है धैर्य और साहस का सचमुच, परिचय बड़ा दिया है॥२॥
है शोल-सलोनी कौशल्या कौ, निर्मल शील-क्रिया है।
है पुरुषोत्तम गुण-धाम राम को, जिसने जन्म दिया है ॥३॥
है जनक-सुता सीता का जग में, शील-प्रभाव अनूठा ।
हे अग्नि हो गई शीतल पानी, सत्तव-देवता तूठा॥४॥
है जननी पांच पांडवों की वह, कृती सती सयानी।
हे पावन पतिव्रता की प्रतिमा, स्मृति कौ वनी निशानी ॥५॥
है द्र्.पद-घुता के सत्थ शील की, महिमा अति फलाई।
हे चीर एक सौ आठ देखकर, परिषद् विस्मय पाई।।६॥
है राजीमती सती ने प्रियतम, पति का पथ अपनाया
हे वोध-दान रथनेमि संत को, देकर ऊध्वं उठाया ।७॥
है सती पुष्पचूला ने सच्चा, श्रातृ-भाव दिखलाया।
है स्वच्छ हृदय से सबको अच्छा, मैत्रि-मंत्र सिखलाया ॥८॥
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