श्री सरस सागर भाग 1 | Shri saras Sagar Bhag 1

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Shri saras Sagar Bhag 1  by राधेश्याम शर्मा - Radheshyam Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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টি ॥ गुरु महिमा॥ নত प्रथम पंक्ति अ्मरभय सतगुरु के उपदेश ॥ भ्रीः ॥ २ श्ररज सुना श्री सतगुर दयात छ «<» ^ শা १० ११ १२ प्रारती श्वी गुर की करिये थ्रारती भ्री गुरुदेव तुम्हारी , उठ प्रभात श्री सतगुद सुमिरो मन मेर क्या तारीफ करें सतगुरु की * , करर मने श्रारनी सतगुम क्री कहा कई गुरु कृपा की वात गये भुरुदेव परम निञ्ञ धाम गगरे মাহি ভাত प्रकेत धाम হাটু गुेया वैया गह जी मोरी श्राय े गुरुदेव दयाल दया करिये गुरून की मूरति मेगल करली गुरुन शी सुन्दर सुरत प्यारी चरन कमल गुरुदेव नमामी जगत में है गुरु हरि अवतार जव शुर कपा टट कर हेर ^“ जय गुरुदेव दयानिधि देवा जय जय जय गुरुदेव हमारे जय जय श्री सतरुख महाराज খাপ # ১ १७). प्र न्यर्‌ ९४ ४५० ५ ४५ २५ २} ४२ ५२ २२. ६9 ক ডে ৪৩ १० তর ३७ धद




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